लौहनगरी, जहां काले स्वरूप में भी पूजी जाती हैं मां दुर्गा (सभी परिवार का फोटो नाम से है)फ्लैग – शहर के विभिन्न समाज, समुदाय और परिवारों में अनोखे तरीके से होती है दुर्गा पूजासंवाददाता, जमशेदपुरइस्पात नगरी के नाम से मशहूर इस शहर में सिर्फ लोहा ही नहीं पिघलता है, बल्कि हर उत्सव का अलग रंग देखने को मिलता है. यहां की शारदीय नवरात्रि की चर्चा अन्य शहरों में भी होती है. सार्वजनिन पूजा पंडालों से लेकर शहर के कई घरों में नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है. जिसे हर समुदाय के लोग अपने तौर-तरीके से मनाते हैं. दुर्गा पूजा के दौरान मां के स्वरूप और पूजन विधि की भिन्नता के बीच श्रद्धा और उत्साह की एकरसता नजर आती है.———————————————————–बांग्लादेश में हुई थी पूजा की शुरुआतभुइयांडीह निवासी अशोक घोष एवं सुकुमार घोष का परिवार पिछली आठ पीढ़ियों से मां दुर्गा के काले स्वरूप की पूजा करता आ रहा है. इस पूजा की शुरुआत 1948 से पूर्व बांग्लादेश में उनके पूर्वजों ने की थी. अशोक घोष ने बताया कि पूर्वजों को स्वप्न में मां के इसी स्वरूप में दर्शन देकर पूजा करने को कहा था. पूजा एवं प्रतिमा दोनों में ही भिन्नता है. प्रतिमा में माता लक्ष्मी के साथ कार्तिकेय एवं सरस्वती के साथ गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है. वहीं पूजा के मंत्र काली पूजा के मंत्र से मिलते-जुलते हैं. इस पूजा में कुमारी पूजा का नियम नहीं है. सालों पहले पूजा के दौरान पशु बलि दी जाती है पर अब भतुआ (चालकुमड़ा) की बलि दी जाती है. —————————————————-70 वर्षों से शहर में बसा आचार्य परिवार कर है मां की विशेष पूजा छोटा गोविंदपुर निवासी गौतम आचार्य का परिवार विगत 70 वर्षों से मां दुर्गा की विशेष पूजा कर रहा है. जिसकी शुरुआत कई दशक पहले उनके पूर्वजों ने बांग्लादेश में की थी. बाद में गौतम के पिता स्व वीरेंद्र चंद्र आचार्य ने जमशेदपुर में इस पूजा का शंखनाद किया. कलश स्थापना के साथ 24 घंटा हवन, कुमारी पूजन व भोग क्षेत्रीय लोगों को इस पूजा से जोड़े रखता है. दुर्गापूजा के साथ जगधात्री व काली पूजा का भी आयोजन किया जाता है. गौतम ने बताया कि 40 वर्षों से परसुडीह निवासी गोपाल पाल प्रतिमा निर्माण का कार्य कर रहे है. —————————————-26 वर्ष से बारीडीह में बसे कृष्णनेंदू सेनगुप्ता स्वयं करते है मां दुर्गा की पूजा बारीडीह बागुननगर ए ब्लॉक निवासी व टाटा टेक्नोलॉजी कर्मचारी कृष्णनेंदू सेनगुप्ता 25 वर्षों से मां दुर्गा की पूजा करते आ रहे हैं. परिवार के लोग पारंपरिक परिधान पहनकर बांग्ला साज में सजी मां की पूजा करते हैं. कृष्णनेंदू की मां बताती है कि बचपन में ही कृष्णनेंदू मां दुर्गा की प्रतिमा देख कर ऊं दुर्गाय नम: मंत्रोउच्चारण करता था. मां के प्रति उसकी भक्ति देख परिजन आश्चर्यचकित हो जाते थे. बाद में उन्होंने रामकृष्ण मिशन के नागेश्वर नंद महाराज से पूजन विधि सीखी. तब से कृष्णनेंदू स्वयं पूजा करते आ रहे हैं. —————————-इस बार प्रतिमा स्थापित कर होगी मां दुर्गा की पूजा न्यू केबुल टाउन, कंचन नगर निवासी संजय सिंह ने 11 साल पहले मां दुर्गा से मिन्नत की थी, जो पूरी हुई और इसके बाद से वे लगातार 11 वर्षों से निष्ठापूर्वक मां की पूजा करते आ रहे हैं. संजय सिंह ने बताया कि 10 सालों तक कलश स्थापित कर मां की पूजा की जाती थी, पर इस बार मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जायेगी. कुमारी पूजन व जागरण इस पूजा की विशेषता है.
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