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गांधी पर कस्तूरबा के प्रभाव की अनदेखी की इतिहासकारों ने

गांधी पर कस्तूरबा के प्रभाव की अनदेखी की इतिहासकारों ने नयी दिल्ली. दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह ने बुधवार को कहा कि कस्तूरबा के महात्मा गांधी पर पड़े प्रभाव की इतिहासकारों ने अकारण ही अनदेखी की है. महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटने के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सिंह […]

गांधी पर कस्तूरबा के प्रभाव की अनदेखी की इतिहासकारों ने नयी दिल्ली. दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह ने बुधवार को कहा कि कस्तूरबा के महात्मा गांधी पर पड़े प्रभाव की इतिहासकारों ने अकारण ही अनदेखी की है. महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटने के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सिंह ने विश्वविद्यालय के गांधी भवन में छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘भले ही गांधीजी ने कहा हो कि उन्होंने अपनी पत्नी से अहिंसा सीखी, इतिहासकारों द्वारा इस तथ्य की अनदेखी करने का कोई कारण नहीं है. गांधी के जीवन में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.’ गांधी के उदार विचारों को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि भारत का युवा गांधी के उदार स्वरुप के सबकों का पालन करे. उन्होंने कहा, ‘‘जब भी गांधी जी के सहयोगी खान अब्दुल गफ्फार खान उनके पास आते थे तो वह उन्हें सामिष भोजन ही पेश करते थे। लोग उनसे सवाल करते थे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया जबकि वह स्वयं पक्के शाकाहारी है. ” इस पर गांधीजी शांति से कहते थे कि वह खाना खान की पसंद है, मेरी नहीं। यह उदारवाद है. चारों तरफ से अच्छे विचार आने दीजिए ताकि देश आगे बढ सके। ‘‘मैं चाहता हूं कि देश का युवा इसे समझे और पालन करे।” भाषा माधव अविनाश दि120 10142258 दि नननन

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