कोमल हैं, कमजोर नहीं…शक्ति का दूसरा रूप नारी है. आज ऐसा कोई काम नहीं, जो नारी नहीं कर सकती. बेटी, बहन, पत्नी व मां यह तमाम रूप नारी के ही तो हैं. वह घर में गृह लक्ष्मी है, तो समाज में कर्मयोगी भी. बात बस इतनी भर नहीं है, जब उनकी अस्मिता पर आ जाती है, तब वह चंडी और काली भी बन जाती हैं. जरूरत पड़ने पर वह मनचलों पर आफत बन टूट पड़ती हैं. अपने शहर की सशक्त महिलाओं ने आत्मरक्षात्मक कदम उठाते हुए न सिर्फ मनचलों को मजबूर कर दिया है, बल्कि यह साबित भी किया है कि वे कोमल हैं, लेकिन कमजोर नहीं. नवरात्र विशेष ‘शक्ति स्वरूपा’ की इस कड़ी में पढ़िये शहर की उन नारी शक्तियों पर केंद्रित स्टोरी, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और शौर्य से काम लेते हुए मनचलों को मजा चखाया. पढ़िये लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट…——————दिल्ली में मनचलों को नाकों चने चबवाया साकची निवासी नेहा पांडेय बताती हैं कि 8 जुलाई 15 को वह दिल्ली में थी. स्टेशन पर वह सामान के साथ ट्रेन का इंतजार कर रही थी. तभी दो युवक उसे ठोकर मारते हुए आगे बढ़ चले. इससे वह सामान समेत लड़खड़ा कर नीचे गिर गयी. नेहा बताती है कि मैंने इसे नजरअंदा नहीं किया. पलटकर उनसे उसी वक्त सवाल किया कि आप लोगों ने ऐसा क्यों किया. इस पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया. यह मुझसे बर्दाश्त नहीं हो सका. तत्काल मैंने उन पर हमला बोल दिया. मुझे आक्रामक होता देख वहां खड़े लोग भी सपोर्ट में आ गये. उनकी खूब धुनायी हुई. नेहा कहती है कि मनचलों के सामने कभी भी झुकना नहीं चाहिये. समाज में ऐसे लोग तो कम ही होते हैं. ज्यादातर लोग महिलाओं की इज्जत करते हैं. इसलिए, मनचलों का डट कर मुकाबला करना चाहिये. अभिभावकों को भी बच्चों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिये. ————–आप विरोध कीजिये, समाज साथ आ जायेगा बागबेड़ा निवासी सुनीता सिंह बताती है कि साल 2014 में मैं कीताडीह इलाके में क्लास के लिए जा रही थी. रास्ते में कुछ मनचले अड्डेबाजी कर रहे थे. उस रास्ते से अन्य दूसरे लोग भी आ जा रहे थे, लेकिन जब भी कोई महिला या लड़की जाती, तो वो उस पर गंदी फब्तियां कसते. एक आंटी आगे गयीं, तो उन लोगों ने उन पर भी फब्तियां कसीं. आंटी उसे नजरअंदाज कर आगे बढ़ गयीं. उसके बाद मैं भी जा रही थी, तो उन मनचलों ने मुझ पर भी फब्तियां कसीं. मुझसे नहीं रहा गया. मैंने तुरंत साइकिल को साइड लगा कर उनकी धुनायी शुरू कर दी. इसके बाद तो आसपास के लोग भी मेरे सपोर्ट में आ गये और मनचलों की खूब धुनायी हुई. यही नहीं. मनचलोें ने माफी भी मांगी. हालांकि, मेरे पास यह आत्मविश्वास पहले नहीं था. जब से मैंने मार्शल आर्ट सीखना शुरू किया, तब से मेरे भीतर आत्मविश्वास बढ़ा है. मेरी राय है कि हर लड़की और महिला को मार्शल आर्ट सीखना चाहिये. ————————————-गलत बर्दाश्त न करें, अपराधियों को मिलता है बल ज्योता डे निवासी गोलमुरी बताती हैं कि मैं दुर्गा पूजा के दौरान अपने परिवार के साथ पूजा पंडाल घूम रही थी. उस दौरान करीब 7 लड़कों का गैंग हुड़दंगई कर रहा था. उन्हीं में से एक ने मुझे छेड़ा और आगे बढ़ गया. मैंने तत्काल इसके विरोध का फैसला लिया और आगे आ कर लड़कों की भीड़ से आरोपी को पकड़ लिया. इसके बाद तो उसकी धुनाई शुरू हो गयी. ऐसा होता देख उसके साथी फरार हो गये. हम लोगों को सिर्फ अपने ही नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी आगे आना चाहिये. किसी बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिये. मुझे यह सीख मेरी मां से मिली. उनकी वजह से ही आत्मविश्वास से लबरेज हूं. मैं दूसरों को भी यही सीख देती हूं कि कभी भी गलत को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. इससे अपराधियों को बल मिलता हैं. ———————————–दो बहनों ने खत्म करवा दी अड्डाबाजी घटना 2013 की है. हरहरगुट्टू निवासी रानी कुमारी घर के निकट ही ट्यूशन क्लास के लिए अपनी बहन के साथ साइकिल से जा रही थी. वह बताती है कि गली के चौक पर करीब 5 लड़के आपस में बैठ कर बाते कर रहे थे. सामने से गुजरते समय लड़कों ने भद्दे-भद्दे कमेंट शुरू कर दिये. इस बात को हमने इगनोर करने की कोशिश की, लेकिन इससे उन मनचलों की हिम्मत बढ़ गयी और उनमें से एक ने मर्यादा की हद लांघ दी. यह असहनीय था. मैंने मनचलों की पिटाई शुरू कर दी. मेरी बहन ने भी सपोर्ट किया. इसके बाद तो उस चौक पर बैठकी ही खत्म हो गयी. साथ ही इस घटना के बाद किसी ने हमारी तरफ गलत नजर से नहीं देखा. मनचलों पर शिकंजा कसने की शुरुआत लड़कियों और महिलाओं को ही करनी होगी. उन्हें हिम्मत से काम लेते हुए गलत का प्रतिकार करना होगा. ———————————बिल्कुल न बढ़ने दें मनचलों का हौसला न्यू बारीडीह निवासी गीता देवी बताती हैं कि आज से कुछ वर्ष पहले मैं अपनी एक सहेली के साथ कहीं जा रही थी. रास्ते में कुछ मनचले अड्डाबाजी कर रहे थे. वे हम लोगों के साथ-साथ दूसरी लड़कियों को भी आते-जाते देख उन पर तंज कस रहे थे. पहले तो हमने भी नजरअंदाज किया, लेकिन वे नहीं सुधरे. रोज-रोज हम पर गंदा कमेंट कसा करते थे. जिस दिन मैं अपनी दोस्त के साथ जा रही थी, उस दिन भी उन मनचलों ने हम पर गंदा कमेंट किया. इस दिन मुझसे चुप नहीं रहा गया. मैं मनचलों से भिड़ गयी. मेरी दोस्त ने भी सपोर्ट किया. हम दोनों ने मिलकर मनचलों की खूब पिटाई की. इसके बाद तो मनचले उस जगह से गायब हो गये. सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि मोहल्ले की दूसरी लड़कियों और महिलाओं को भी छेड़खानी से निजात मिल गयी.
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