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स्कूलों को किताबों से 30} तक की कमाई

जमशेदपुर: दुकान की बजाय स्कूल से एक निश्चित अवधि में किताब-कॉपी की खरीदारी भले ही अभिभावकों के लिए परेशानी का कारण बनती हो, लेकिन स्कूलों के लिए यह बोनस से कम नहीं. हर किताब की बिक्री पर स्कूलों को कम से कम 30 प्रतिशत तक की कमाई होती है. वह भी बगैर निवेश (इन्वेस्टमेंट). गत […]

जमशेदपुर: दुकान की बजाय स्कूल से एक निश्चित अवधि में किताब-कॉपी की खरीदारी भले ही अभिभावकों के लिए परेशानी का कारण बनती हो, लेकिन स्कूलों के लिए यह बोनस से कम नहीं. हर किताब की बिक्री पर स्कूलों को कम से कम 30 प्रतिशत तक की कमाई होती है. वह भी बगैर निवेश (इन्वेस्टमेंट). गत वर्षो के दौरान शहर स्थित एक स्कूल को प्रकाशक द्वारा दिये गये बिल से इसका खुलासा होता है.

छूट कहें, कमीशन या फिर बोनस
प्रकाशक या सप्लायर से स्कूल डिस्काउंट लेते हैं, लेकिन विद्यार्थियों को कोई छूट नहीं मिलती. किताबों को प्रिंटेड मूल्य पर ही बेचा जाता है. आये दिन अभिभावक भी इस तरह का आरोप लगाते रहते हैं. किताबों से अलावा कॉपी व अन्य सामग्रियों पर भी स्कूलों का डिस्काउंट तय होता है, जिसे अभिभावक कमीशन भी कहते हैं.

स्कूल को होने वाला फायदा ऐसे समझें
बिल में प्रकाशक द्वारा मौखिक आपूर्ति आदेश पर स्कूल को कंप्यूटर व मैथ की छह किताबों की कुल 1000 प्रति सप्लाई की गयी. वह भी एक महीने में बिल भुगतान के करार पर. कुल एक हजार प्रति की कीमत एक लाख रुपये से अधिक थी. बिल के अनुसार एक माई मैथ टू का मूल्य 165 रुपये है. स्कूल ने प्रकाशक से इस किताब की 200 प्रति खरीदी. किताब पर प्रिंट के अनुसार 200 प्रतियों की कीमत 33 हजार रुपये होती, लेकिन बिल में 30 प्रतिशत छूट अंकित करते हुए 23 हजार 100 रुपये का ही बिल दिया है. इसी तरह माइ कंप्यूटर बुक थ्री की 150 प्रतियों के लिए 17 हजार 250 रुपये की जगह 12 हजार 75 रुपये का बिल दिया गया है.

कुल मिला कर स्कूल ने एक लाख 38 हजार रुपये की किताबों की खरीदारी की और उसे 96,600 रुपये का भुगतान करना पड़ा. इस तरह स्कूल को 41,400 रुपये का फायदा हुआ वह भी बगैर पूंजी लगाये.

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