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मसजिदो में तरावीह खत्म, अब तीन दिनों तक सुरा तरावीह

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर माह -ए- रमजान के 27वीं की रात शहर की मसजिदों में तरावीह के दौरान बड़ी संख्या में रोजेदार-नमाजी पहुंचे. तरावीह खत्म होने के बाद सिरनी का प्रसाद बांटा गया. इसके बाद सामूहिक दुआ की गयी. आयोजन के दौरान लोगों को सेहरी और अफ्तार के मायने बताये गये. रोजा इसलाम के पांच सुतून […]

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर माह -ए- रमजान के 27वीं की रात शहर की मसजिदों में तरावीह के दौरान बड़ी संख्या में रोजेदार-नमाजी पहुंचे. तरावीह खत्म होने के बाद सिरनी का प्रसाद बांटा गया. इसके बाद सामूहिक दुआ की गयी. आयोजन के दौरान लोगों को सेहरी और अफ्तार के मायने बताये गये. रोजा इसलाम के पांच सुतून में एक है. इसलाम की मौलिकता पांच चीजों पर है. पहला अल्लाह तआला के सिवा कोई माबूद (वंंदना) के योग्य नहीं और पैगंबर मोहम्मद (सअ.) अल्लाह के बंदे और रसूल हैं. दूसरा नमाज तीसरा जकात, चौथा रोजा एवं पांचवा हज है. रमजान उल मुबारक का महीना हर वर्ष इसलिए आता है कि वर्ष के 11 महीने आमतौर पर इनसान अपनी दुनिया में व्यस्त रहता है. इस वजह से 24 घंटे अल्लाह के बताये हुए रास्ते पर नहीं चल पाता है. रमजान का महीना बरकतों वाला है. अल्लाह तबारक तआला ने इस महीने में अपने महबूब पैगंबर मोहम्मद (सअ.) पर किस्तों में कुरआन पाक को नाजिल (अवतरित) किया और रहमतों के दरवाजे खोल दिये. इसलिए इसलाम धर्मालंबी इस महीने में पूरे तौर पर अल्लाह के बताए हुए मार्गों पर चलकर अपने गुनाहों को माफ करवाते हंै. पैगंबर (सअ.) ने फरमाया कि इस माह में एक रात ऐसी है जो हजार रातों से अफजल है, इस रात को लैलतुलकद्र कहा गया है.

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