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छऊ शिक्षक -प्रशिक्षण केंद्र खोले सरकार

ऐतिहासिक छऊ नृत्य के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए वृहद स्तर पर रणनीति तैयार करने की अवश्यकता है. इसके लिए जरूरी है कि एक अदद शिक्षक-प्रशिक्षण केंद्र हो. कोल्हान के सभी कॉलेजों में छऊ के पाठ्यक्रम निर्धारित कर डिप्लोमा-डिग्री की पढ़ाई हो. साथ ही छऊ के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के वादकों को बहाल किया जाये. […]

ऐतिहासिक छऊ नृत्य के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए वृहद स्तर पर रणनीति तैयार करने की अवश्यकता है. इसके लिए जरूरी है कि एक अदद शिक्षक-प्रशिक्षण केंद्र हो. कोल्हान के सभी कॉलेजों में छऊ के पाठ्यक्रम निर्धारित कर डिप्लोमा-डिग्री की पढ़ाई हो. साथ ही छऊ के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के वादकों को बहाल किया जाये. जिस प्रकार से देश में विभिन्न पारंपरिक नृत्यों के पाठ्यक्रम तैयार किये गये हैं, उसी तर्ज पर शास्त्रीयता के साथ छऊ का भी पाठ्यक्र म तैयार किया जाये. पाठ्यक्रम के निर्माण में सभी छऊ गुरुओं की सहभागिता हो, इसका भी ख्याल रखा जाये. सरायकेला में स्थापित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की स्थूलता के कारण छऊ नृत्य का वांछित उत्थान नहीं हो पा रहा है. इसके लिए यह भी आवश्यक है कि छऊ के पद्म पुरस्कार प्राप्त कलाकारों और अन्य को लेकर एक प्रभावी कमेटी का गठन किया जाये. पद्मश्री पं गुरु श्याम चरण पति, सरायकेला

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