रिटायरमेंट के बाद उनकी आंखों की रोशनी चली गयी. उनकी देखरेख करने वाले चिकित्सक डॉ एसके भट्टाचार्या ने बताया कि श्री मुखर्जी को अपनों ने यह कहकर उनकी देखभाल बंद कर दी कि पहले अपनी संपत्ति हमारे नाम करें. वे मेरे पास इलाज कराने आये. अपना दुख-दर्द साझा किया और मदद मांगी. इसके बाद मैंने अपने मित्र डॉ सुनील नंदवानी, डॉ प्रदीप्ता कुंडू, डॉ इंद्रजीत गोराई से इस बात का जिक्र किया. तब हम चारों डॉक्टरों ने उनके बुढ़ापा की लाठी बनने का निर्णय किया. इस बीच श्री मुखर्जी अपने घर में गिर गये. चारों चिकित्सकों ने उन्हें टीएमएच में भरती कराया.
उनकी बायीं जांघ के नीचे ऑपरेशन किया गया. उनके घुटने को बदला गया. टीएमएच में उनका इलाज चल रहा है. हम चारों चिकित्सक अपनी ड्यूटी के बाद बारी-बारी से उनका ख्याल रखते हैं. उनकी डॉ भट्टाचार्या ने बताया कि वे लोग मानवता की सेवा के लिए उनकी देखभाल कर रहे हैं. हालांकि केपी मुखर्जी के परिवार के लोग हमारा विरोध करते हैं. उनका आरोप है कि हम उनकी संपत्ति के लिए ऐसा कर रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. हम चाहते हैं कि समाज में एक मिसाल कायम कर रिश्तों को जोड़ने की कोशिश करें.