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निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक

जमशेदपुर: जिला प्रशासन और निजी स्कूलों के साथ बुधवार को होने वाली बैठक रद कर दी गयी है. जिला शिक्षा विभाग ने बताया है कि अपरिहार्य कारणों से बैठक रद की गयी है. अब बैठक 16 अप्रैल (गुरुवार) को सेंटर फॉर एक्सीलेंस में शाम 4 बजे होगी. वहीं सरायकेला-खरसावां जिला उपायुक्त ने इस संबंध में […]

जमशेदपुर: जिला प्रशासन और निजी स्कूलों के साथ बुधवार को होने वाली बैठक रद कर दी गयी है. जिला शिक्षा विभाग ने बताया है कि अपरिहार्य कारणों से बैठक रद की गयी है. अब बैठक 16 अप्रैल (गुरुवार) को सेंटर फॉर एक्सीलेंस में शाम 4 बजे होगी. वहीं सरायकेला-खरसावां जिला उपायुक्त ने इस संबंध में 16 अप्रैल को पूर्वाह्न् 11 बजे बैठक बुलायी है. इसमें जिला प्रशासन की ओर से निजी स्कूलों के प्रिंसिपल और स्कूल प्रबंधक को शामिल होने को कहा गया है.

सभी निजी स्कूलों को 15 अप्रैल को इमेल के जरिये बैठक में आने से संबंधित आधिकारिक जानकारी दे दी जायेगी. डीएसइ सह आरटीइ के नोडल पदाधिकारी इंद्र भूषण सिंह ने कहा कि बैठक के दौरान राज्य सरकार के गाइड लाइन का पालन करने पर जोर रहेगा.

शामिल नहीं होने पर शो कॉज
राज्य सरकार के निर्देश पर सभी जिले में इस तरह की बैठक बुलायी जा रही है. जिला शिक्षा अधीक्षक ने पूर्व में भी इस तरह की बैठक की थी. इसमें करीब 60 फीसदी निजी स्कूल प्रबंधन शामिल नहीं हुए थे. डीएसइ इंद्र भूषण सिंह ने कहा कि इस तरह की परिस्थिति पैदा होने पर इस बार स्कूलों को शो कॉज किया जायेगा. उनसे स्पष्टीकरण मांगा जायेगा.
इधर, मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि निजी स्कूलों में री-एडमिशन के नाम पर हो रही वसूली पर रोक लगायी जायेगी. निजी स्कूलों ने इससे बचने के लिए री-एडमिशन फीस की जगह कहीं एनुअल चार्ज के नाम पर, तो कहीं डेवलपमेंट चार्ज के नाम पर फीस लेना शुरू कर दिया है. इससे अभिभावकों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी है.
वह समझ नहीं पा रहे हैं कि स्कूलों द्वारा मांगी जा रही रकम जमा करें या नहीं. इधर जिले में प्रशासन का रुख अब तक इस मामले में स्पष्ट नहीं है. जिला प्रशासन की ओर से अब तक स्कूलों को किसी प्रकार का कोई ना ही गाइड लाइन जारी किया है और ना ही री एडमिशन या फिर फीस निर्धारण को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गयी
री-एडमिशन फीस नहीं, बल्कि एनुअल चार्ज लेते हैं
शहर के निजी स्कूलों ने साफ-साफ कहा है कि वे री-एडमिशन फीस नहीं लेते बल्कि एनुअल चार्ज (वार्षिक शुल्क) लेते हैं. इसके पीछे स्कूलों का तर्क है कि ट्यूशन फीस और बस किराया सहित स्कूलों में बच्चों को और भी कई सुविधाएं दी जाती हैं. इसके लिए एनुअल फीस ली जाती है. जमशेदपुर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिशन के अध्यक्ष बेली बोधनवाला ने कहा कि निजी स्कूलों में री एडमिशन लेना गलत है. वे इसका विरोध करते हैं.

इधर, जमशेदपुर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के महासचिव एपीआर नायर ने कहा कि केपीएस ग्रुप में री एडमिशन फीस नहीं लिया जाता है. अगर शहर के किसी स्कूल में री एडमिशन के नाम पर मोटी रकम ली जाती है, तो इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

दूसरी ओर दिल्ली पब्लिक स्कूल की चीफ एक्जीक्यूटिव अर्चना राज सिंह ने कहा कि उनके स्कूल में री एडमिशन फीस नहीं ली जाती है. सिर्फ एनुअल फीस ली जाती है. शहर के निजी स्कूलों के प्रिंसिपल ने बताया कि एनुअल फीस से स्कूल में पानी, बिजली, सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरा व अन्य संसाधन मुहैया कराने के लिए लिया जाता है. स्कूलों का कहना है यदि प्रशासन की ओर से एनुअल फीस लेने के औचित्य के बारे में पूछा जायेगा, तो वह इसकी जानकारी प्रशासन को मुहैया करायेंगे. इधर स्कूलों ने डीसी के निर्देश के अनुरूप तीन वर्ष के आय-व्यय का ब्योरा तैयार करना भी शुरू कर दिया है.

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