जिला कोषागार और एसबीआइ के बिलों में अंतर इसलिए है कि वहां पहले से कुछ बिल भेजे गये थे. जिनका भुगतान मंगलवार को हुआ. स्टेट बैंक के सहायक महाप्रबंधक अजिताभ पराशर ने बताया कि देर रात करीब साढ़े ग्यारह बजे तक यूनाइटेड बैंक फोरम यूनियन के शुभाशीष भट्टाचार्या पूरी टीम के साथ कार्य पर लगे हुए थे. कोषागार का सभी काम रात दस बजे तक समाप्त हो गया था. रात साढ़े आठ बजे तक सभी विपत्र के ऑनलाइन एडवाइस बैंक भेज दिये गये थे. जिला कोषागार के विभागों ने विभिन्न योजना मद में देर रात तक 221 बिल से 21 करोड़ 49 लाख 39 हजार 553 रुपये की निकासी के साथ करोड़ों की राशि सरकार को सरेंडर किया. विभिन्न विभागों से सरकार से प्रपत्र 4 आवंटन, व्यय व सरेंडर राशि का लेखा-जोखा तैयार करने में कर्मचारी जुटे रहे. दूसरी ओर सरकारी लेन- देन के कारण कोषागार और एसबीआइ, कर्मचारी 31 मार्च को आराम से सभी विपत्रों को पारित करने के साथ अपने कार्यो को आसानी से निपटारा करते दिखे.
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अंतिम दिन 38.17 करोड़ की निकासी
जमशेदपुर: एसबीआइ में वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंतिम दिन 595 विपत्रों के माध्यम से करीब 38.17 करोड़ रुपये की निकासी हुई. वित्तीय वर्ष 2013-14 के अंतिम दिन (31 मार्च) बिष्टुपुर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा से 700 विपत्र के माध्यम से 45 करोड़ की निकासी हुई थी. जिला कोषागार से अंतिम दिन करीब […]
जमशेदपुर: एसबीआइ में वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंतिम दिन 595 विपत्रों के माध्यम से करीब 38.17 करोड़ रुपये की निकासी हुई. वित्तीय वर्ष 2013-14 के अंतिम दिन (31 मार्च) बिष्टुपुर स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा से 700 विपत्र के माध्यम से 45 करोड़ की निकासी हुई थी. जिला कोषागार से अंतिम दिन करीब 21 करोड़ 49 लाख, 39 हजार, 553 रुपये के 221 विपत्र पारित किये गये. मार्च में विभिन्न विभागों से 224 करोड़ की निकासी हुई.
डीसी ने किया कोषागार का निरीक्षण. मंगलवार शाम डीसी डॉ अमिताभ कौशल ने कोषागार जाकर स्थिति का जायजा लिया. करीब 10 मिनट कोषागार में रुकने के दौरान डीसी ने विपत्रों के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये.
10 बजे रात तक खुला रहा कोषागार . वित्तीय वर्ष 2014-15 के अंतिम दिन मंगलवार को 10 बजे तक काम हुआ. यहां विभिन्न विभागों के कर्मचारी- अधिकारी अपने बिल पास कराने पहुंचे. इसके अलावा बैंकों में भी देर रात तक वित्तीय वर्ष की क्लोजिंग का काम होता रहा.सुबह में थोड़ी भीड़ कोषागार में दिखी. दोपहर होते ही भीड़ छंटने लगी. दोपहर तीन बजे के बाद एक्का- दुक्का ही बाबू काउंटर पर दिखे. कर्मचारी एवं अधिकारी कोषागार में मौजूद रहकर विभागों के बिल पास करते रहे.
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