परसुडीह के प्रमथनगर में ‘आज भी प्रासांगिक है सुभाष चंद्र बोस का कथन’ विषयक गोष्ठी संवाददाता,जमशेदपुरपरसुडीह के प्रमथनगर स्थित सामाजिक संस्था सौरभ के प्रांगण में ‘आज भी प्रासांगिक है सुभाष चंद्र बोस का कथन’ विषय पर विचार गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का शुभारंभ नेताजी की तसवीर पर माल्यार्पण व दीप जलाकर किया गया. कार्यक्रम में समाजसेवी शेखर डे मुख्य अतिथि व डा. रंजीत चौधरी, विमल चक्रवर्ती, काजोल सेन, विमलाकर भट्टाचार्य विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे. इस मौके पर शेखर डे ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि आज हमारे अंदर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा, ताकि भारत जी सके. एक शहीद की मौत मरने की इच्छा, ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके. इस तरह के देश प्रेम के विचार रखने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस कभी भी देश को टुकड़ों में नहीं देखना चाहते थे. वे गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन व वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से निकालना चाहते थे. सुभाष चंद्र बोस ने जंगलों की खाक छानी, देशों की सीमाएं नापी, यहां तक कि अपना खून बहाने से भी नहीं चूके. लेकिन हमने उन्हें और उनके कथनों को ही भुला दिया. उन्होंने कहा कि यदि हम उनके बताये व दिखाये राह पर चल रहे होते तो आज भारत की तसवीर कुछ और होती है. इस दौरान विशिष्ट अतिथि डा. रंजीत चौधरी ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर सुजीत मुखर्जी, सपन कुमार, प्रभात मिश्रा, सुवर्णरेख नंदनी समेत बड़ी संख्या लोग मौजूद थे.
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नेताजी के बताये मार्ग पर चलें : शेखर डे (फोटो हैरी की)
परसुडीह के प्रमथनगर में ‘आज भी प्रासांगिक है सुभाष चंद्र बोस का कथन’ विषयक गोष्ठी संवाददाता,जमशेदपुरपरसुडीह के प्रमथनगर स्थित सामाजिक संस्था सौरभ के प्रांगण में ‘आज भी प्रासांगिक है सुभाष चंद्र बोस का कथन’ विषय पर विचार गोष्ठी हुई. कार्यक्रम का शुभारंभ नेताजी की तसवीर पर माल्यार्पण व दीप जलाकर किया गया. कार्यक्रम में समाजसेवी […]
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