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रंगों के त्योहार होली के स्वागत के लिए पलाश फूल तैयार

पलाश फूल के रंग से होली अब कहांविशेष बातेंप्रकृति ने पलाश फूल हमें औषधीय रंग के रूप में प्रयोग के लिए बनाया हैप्राचीन समय से ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश फूल के रंग से होली खेली जातीपलाश के रंग से होली खेलने से त्वचा में निखार आता हैइस फूल में काफी मात्रा में शहद भी पाया […]

पलाश फूल के रंग से होली अब कहांविशेष बातेंप्रकृति ने पलाश फूल हमें औषधीय रंग के रूप में प्रयोग के लिए बनाया हैप्राचीन समय से ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश फूल के रंग से होली खेली जातीपलाश के रंग से होली खेलने से त्वचा में निखार आता हैइस फूल में काफी मात्रा में शहद भी पाया जाता हैफोटो हैरवींद्र नाथ, नीमडीहऋतुओं के राजा बसंत के आगमन का संकेत है बहारों में कोयल की कूक, फिजाओं में फूलों की खुशबू और दिल में मदहोशी. फिजाओं में पलाश के फूल अप्रितम सौंदर्य बहार को और सुहाना कर देते हैं. यह मौसम कई रूप में महत्वपूर्ण है. बंसत प्रेम मिलन का मौसम है. इसमें होली का त्योहार प्रेम रंग का संदेश देता है. प्राचीन समय से पलाश के फूल का रंग होली के रंग में विशेष स्थान रखती है. झारखंड में होली के स्वागत के लिए पलाश फूल तैयार हैं. इस फूल के रंग में विपरीत प्रभाव नहीं होता है. किंतु आज बाजार में विभिन्न प्रकार के हानिकारक रसायन रंग मौजूद हैं, जबकि पलाश फूल हमें यह संदेश देती हैं कि प्रकृति ने हमें औषधीय रंग के रूप में प्रयोग के लिए बनाया है. इस मौसम में गांव, मैदान, खेत, खलिहान में पलाश फूल की प्रचुुरता है. प्राचीन समय से ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश फूल के रंग से होली खेली जाती है. मान्यता है कि इस रंग से होली खेलने से त्वचा में निखार आता है. पलाश फूल कई मायने में काफी महत्वपूर्ण भी है. इस फूल में काफी मात्रा में शहद भी पाया जाता है, इसलिए पलाश के फूलों में शहद के प्रेमी भंवरों के दल मंडराते रहते हैं. अभी भी कई ग्रामीण क्षेत्र इससे रंग बना कर ही होली खेलते हैं, पर इसकी संख्या कम है.

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