लीज, फॉरेस्ट क्लियरेंस, खदान के डंप एरिया, पानी निकलने के रास्ते आदि तमाम बिंदुओं पर अध्ययन कर रिपोर्ट बनायी जा रहीवन व पर्यावरण मंत्रालय की टीम पहुंची सारंडा संवाददाता, किरीबुरूसारंडा क्षेत्र में स्थित खदानों व उससे जंगलों को होने वाले नुकसान पर अध्ययन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की टीम कर रही है. टीम में असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल (एडीजे) सुधीर कुमार व उनके दो सहयोगी डॉ रत्नेश व डॉ कुमार (वरिष्ठ वैज्ञानिक एसएमएफआरआइ, धनबाद) शमिल है. यह टीम सारंडा पहुंच कर क्षेत्र में स्थित खदानों में जा जाकर अध्ययन कर रही है. इस क्रम में खदान प्रबंधनों से लीज, फॉरेस्ट क्लियरेंस, खदान के डंप एरिया, पानी निकलने के रास्ते आदि तमाम बिंदुओं पर अध्ययन कर रिपोर्ट बनायी जा रही है. यह रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जानी है. भारत सरकार ने सारंडा कैरिंग कैपेसिटी नामक कमेटी का गठन किया है जिसके जरिये सारंडा को बचाते हुए खनन के बेहतर तरीकों पर गौर किया जा रहा. दल का यह पहला दौरा है. इदसमें विशेषज्ञ भी शामिल रहेंगे, टीम के सहायक निदेशक सुधीर कुमार के आदेश पर माइनिंग इंस्पेक्टर महेंद्र प्रसाद महतो ने क्षेत्र के तमाम खदान प्रबंधनों को विशेष मीटिंग के लिए सेल के मेघालया गेस्ट हाउस में बुलायी गयी. जिसमें सेल की किरीबुरू, मेघाहातुबुरू, गुवा, चिरिया, टाटा स्टील (नोवामुंडी) रूंगटा, उषा मार्टिन, देवकाबाई वेलजी, ओएमएम, जिंदल, रामेश्वर जूट मिल, एनकेपीके, मिश्रीलाल जैन, शाहा ब्रदर्स आदि खदानों के अधिकारी बैठक में भाग लेने पहुंचे. शुक्रवार को दल ने उषा मार्टिन, देवकाबाई वेलजी, रूंगटा आदि खदानों का निरीक्षण किया.
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खदान से जंगलों के नुकसान का अध्ययन
लीज, फॉरेस्ट क्लियरेंस, खदान के डंप एरिया, पानी निकलने के रास्ते आदि तमाम बिंदुओं पर अध्ययन कर रिपोर्ट बनायी जा रहीवन व पर्यावरण मंत्रालय की टीम पहुंची सारंडा संवाददाता, किरीबुरूसारंडा क्षेत्र में स्थित खदानों व उससे जंगलों को होने वाले नुकसान पर अध्ययन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की टीम कर रही है. टीम में असिस्टेंट […]
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