जमशेदपुर: टाटा स्टील मैनेजमेंट ने ज्यादा वेतन बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया है. बुधवार को वेज रिवीजन को लेकर मैनेजमेंट और यूनियन के बीच पहली बार गंभीर बैठक हुई. इस बैठक में मैनेजमेंट की ओर से दो घंटे तक सिर्फ अपनी बातें रखी गयी और प्रेजेंटेशन दिया गया कि वर्तमान में स्टील कंपनियों और मंदी की क्या स्थिति है.
प्रेजेंटेशन में यह बताने की कोशिश की गयी कि किस तरह कंपनी के समक्ष मुश्किलें खड़ी हो चुकी हैं. इस दौरान मुख्य तौर पर रुस और चीन के समतुल्य में भारत के स्टील बाजार और टाटा स्टील की स्थिति पर प्रकाश डाला गया. बताया गया कि टाटा स्टील के समक्ष काफी चुनौतियां हैं. बाजार में मंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव है. प्रोडक्टिविटी काफी कम है और टाटा स्टील में वेज कॉस्ट भी उनके प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में काफी ज्यादा है.
ऐसे में बाजार में टिके रहने के लिए वेज कॉस्ट को हर हाल में कम करना होगा और प्रोडक्टिविटी को हर हाल में बढ़ाना होगा. अगर ऐसा नहीं हो पाया तो टाटा स्टील बाजार में टिक पाने की स्थिति में नहीं रहेगा. इसके लिए यूनियन को सहयोग करने और ज्यादा वेतन बढ़ाने का दबाव नहीं बनाने की मन:स्थिति तैयार करने का आग्रह भी किया गया. कंपनी हित में यह जरूरी है. इस दौरान कंपनी के मानव संसाधन प्रबंधन के उपाध्यक्ष (वीपी एचआरएम) सुरेश दत्त त्रिपाठी, कंपनी के जीएम आइआर आरपी सिंह, पीएन प्रसाद, जुबिन पालिया के अलावा यूनियन के अध्यक्ष पीएन सिंह, डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी टुन्नु और महामंत्री बीके डिंडा मौजूद थे.
बैठक काफी गंभीर माहौल में चला. चूंकि, यह पहली बैठक थी, इस कारण यूनियन की ओर से ज्यादा कुछ तय नहीं किया गया या कोई बातचीत नहीं दी गयी. वेज रिवीजन पर यह पहली बार हुआ है कि मैनेजमेंट ने अपनी ओर से प्रस्ताव रख दिया है. इससे पहले टाटा वर्कर्स यूनियन ने चार्टर्ड ऑफ डिमांड सौंपा था. अब अगली बैठक नौ अगस्त को होगी, जिसमें आगे का फैसला लिया जायेगा.