जमशेदपुर: ऑटो किराया कम करने के लिए चाहे कितनी भी दलीलें दी जा रही हैं लेकिन शहर में ऑटो परिचालन की जो वर्तमान स्थिति है उसमें किराया कम करने की पहल इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि पूरा सिस्टम अलग-अलग हाथों से नियंत्रित हो रहा है. इसका खामियाजा सिर्फ यात्रियों को भुगतना पड़ रहा […]
जमशेदपुर: ऑटो किराया कम करने के लिए चाहे कितनी भी दलीलें दी जा रही हैं लेकिन शहर में ऑटो परिचालन की जो वर्तमान स्थिति है उसमें किराया कम करने की पहल इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि पूरा सिस्टम अलग-अलग हाथों से नियंत्रित हो रहा है. इसका खामियाजा सिर्फ यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है.
अगर ऑटो संचालन की व्यवस्था पर नजर दौड़ायें, तो शहर में 14 हजार टेंपो चलाने वालों से प्रत्येक साल पांच करोड़ रुपये से ज्यादा अलग-अलग स्टैंड के स्वयं घोषित लाइन टेकर ही वसूल लेते हैं. स्टैंड से टेंपो चलाने वालों को नंबरिंग के एवज में प्रतिदिन दस रुपये( किसी स्टैंड में आठ रुपये) लाइन टेकर को देना पड़ता है. स्टैंड के बाहर से चलाने की राशि अलग तय है. इसके लिए लाइन टेकर द्वारा सवारी बैठाने के लिए नंबर दिया जाता है.
टेंपो चालक एक स्टैंड से निकल कर दूसरे स्टैंड जाता तो यह राशि उसे दूसरे स्टैंड में भी वापसी के लिए देनी पड़ती है. इसके अतिरिक्त किसी नये टेंपो के स्टैंड में आने पर नंबर देने के एवज में पांच हजार रुपये वसूला जाता है. रोजाना 16 से 20 रुपये प्रति टेंपो लाइन टेकर के खाते में चला जाता है. लाइन टेकर प्रशासन द्वारा तय नहीं होने के कारण इस पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं है. हर माह लाखों की वसूली और नियंत्रण नहीं होने के कारण भाड़ा घटाने को लेकर लाइन टेकर सभी को एकमत नहीं होने दे रहे हैं.
उपायुक्त डा अमिताभ कौशल ने गत वर्ष जेएनएसी को टेंपो स्टैंडों का टेंडर करने का निर्देश दिया था. जेएनएसी द्वारा प्रक्रिया शुरू भी की गयी थी, लेकिन एक साल में टेंडर नहीं हो सका जिसके कारण हर वर्ष सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. उपायुक्त द्वारा नये सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है.
मुख्य बातें
शहर में चलते हैं 14 हजार टेंपो, स्टैंड से चलाने के लिए लाइन टेकर को देना पड़ता है दस रुपये प्रतिदिन
एक दिन में 1.40 लाख और एक माह में 42 लाख रुपये वसूलते हैं लाइन टेकर
दबंगता के आधार पर स्वयं को घोषित कर रखे हैं अलग-अलग टेंपो स्टैंड के लाइन टेकर
उपायुक्त के आदेश के एक साल बाद भी नहीं हो सका शहर के टेंपो स्टैंड का टेंडर
लाखों रुपये का राजस्व नहीं मिल रहा है सरकार को, निजी खाते में जा रही है राशि