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शुकदेव जी श्रेष्ठ वक्ता, परीक्षित श्रेष्ठ श्रोता (फोटो आयी होगी)

-भागवत प्रेमियों को ज्ञानचंद जी ने किया संबोधित- गाढ़ाबासा में चल रही भागवत कथा का दूसरा दिनजमशेदपुर. टुइलाडुंगरी गाढ़ाबासा सामुदायिक भवन मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन कर्ता आचार्य ज्ञानचंद महाराज ने शुक्रवार को उत्तम श्रोता एवं उत्तम वक्ता के विषय में बताया. उन्होंने कहा कि शुकदेव जी श्रेष्ठत्तम वक्ता थे. उन्होंने […]

-भागवत प्रेमियों को ज्ञानचंद जी ने किया संबोधित- गाढ़ाबासा में चल रही भागवत कथा का दूसरा दिनजमशेदपुर. टुइलाडुंगरी गाढ़ाबासा सामुदायिक भवन मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन कर्ता आचार्य ज्ञानचंद महाराज ने शुक्रवार को उत्तम श्रोता एवं उत्तम वक्ता के विषय में बताया. उन्होंने कहा कि शुकदेव जी श्रेष्ठत्तम वक्ता थे. उन्होंने मां के गर्भ से ही संन्यासी के रूप में जन्म लिया था तथा बाद में वे संन्यस्त हो गये. वन से लौटने के पश्चात उन्होंने अपने पिता से भागवत धर्म की दीक्षा ली तथा आजीवन उसके प्रचार में लीन रहे. दूसरी तरफ राजा परीक्षित श्रेष्ठत्तम श्रोता थे. उन्हें माता के गर्भ में ही भगवान ने दर्शन दिये, यही नहीं, उनकी परीक्षा भी ली. यही कारण है कि उन्होंने शुकदेव जी से दो मंगल प्रश्न किये. उनमें पहला प्रश्न था कि जगत का कल्याण कैसे हो सकता है तथा दूसरा प्रश्न था कि जिसकी मृत्यु नजदीक हो उसे क्या करना चाहिए. आचार्य जी ने कहा कि मृत्यु सन्निकट होने के बाद भी राजा परीक्षित ने राज धर्म निभाते हुए पहले जगत कल्याण (प्रजा के कल्याण) की चिंता की और अपनी आसन्न मृत्यु के संबंध में जो प्रश्न अपने गुरु के समक्ष किया उसमें भी उन्होंने पूरे मानव समुदाय का प्रश्न ही पूछा. उन्होंने सिर्फ अपनी मृत्यु की बात न कर मृत्यु के निकट पहुंचे मनुष्यमात्र के कल्याण का प्रश्न किया. आज की कथा में मदन लाल अग्रवाल, सुरेश राव, बाबूलाल अग्रवाल, चंद्ररेखा देवी, कमलेश्वर झा, अधिवक्ता विनोद अग्रवाल आदि सहित बस्ती के अनेक गणमान्य लोग शामिल हुए.

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