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हाइकोर्ट जाने की तैयारी में खनन व्यापारी फोटो है दिलीप 3

फ्लैग- सुरक्षित वन क्षेत्र के नोटिफिकेशन पर उठाये सवालखनन व्यापारियों की आपत्ति व मांगें * 1976 में तत्कालीन बिहार सरकार ने जो नोटिफिकेशन निकाला था, वह आपत्तिजनक है * वन क्षेत्रों की जमीन का नियंत्रण राज्य सरकार के पास रहेगा* अधिसूचना में इसकी कोई चौहद्दी तय नहीं की गयी है* 85 गांवों पर किसी तरह […]

फ्लैग- सुरक्षित वन क्षेत्र के नोटिफिकेशन पर उठाये सवालखनन व्यापारियों की आपत्ति व मांगें * 1976 में तत्कालीन बिहार सरकार ने जो नोटिफिकेशन निकाला था, वह आपत्तिजनक है * वन क्षेत्रों की जमीन का नियंत्रण राज्य सरकार के पास रहेगा* अधिसूचना में इसकी कोई चौहद्दी तय नहीं की गयी है* 85 गांवों पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है* इको सेंसेटिव जोन बनाने के पहले जनसूचना जारी नहीं की गयी थी* माइनिंग के संबंध में जो आदेश आया है, उससे पहले से माइनिंग कार्य होता रहा है* शिड्यूल पांच के अधीन यह क्षेत्र आता है. इसके तहत ग्राम पंचायत की मंजूरी लेना अनिवार्य है* जोनल मास्टर प्लान तक अब तक तैयार नहीं किया गया, लेकिन माइनिंग को तत्काल बंद करा देना पूरी तरह गलत हैवरीय संवाददाता, जमशेदपुर इको सेंसेटिव जोन को लेकर खदान व खनन बंद करने के मामले में खनन व्यापारी झारखंड हाइकोर्ट जाने की तैयारी में हैं. व्यापारियों ने सुरक्षित वन क्षेत्र के नोटिफिकेशन पर सवाल उठाया है. खनन व्यापारियों ने कहा है कि अगर उन्हें हटाना है, तो पहले मुआवजा दिया जाये और पुनर्स्थापित किया जाये. सबकी रोजी-रोटी बचाने के लिए विचार करने की मांग की गयी. पटमदा और बोड़ाम माइन ऑनर एसोसिएशन के सचिव पीके चुड़ीवाला ने बताया कि खनन व्यापार से आम ग्रामीणों का परिवार जुड़ा हुआ है. 15 से 20 साल से ग्रामीणों की रोजी रोटी खनन व्यवसाय पर चल रहा है. इन लोगों ने झारखंड हाइकोर्ट जाने के पहले राज्य में नयी सरकार गठन का इंतजार का फैसला लिया है. राज्य नयी सरकार बनने के बाद लोग पहले सरकार से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे. उसके बाद हाइकोर्ट जायेंगे.

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