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बंद हो थाली लेकर स्कूल जाना
सरकार के स्तर से विद्यालय के बच्चों के लिए पोशाक, साइकिल, खेलकूद की सामग्री एवं छात्रवृत्ति का प्रावधान है और ये सुविधाएं मिल भी रही हैं. लेकिन विद्यालय, जिसे विद्या का मंदिर कहा जाता है, उसी विद्यालय में चल रहे मध्याह्न् भोजन में बच्चों को अपने घर से थाली के साथ विद्यालय जाना पड़ रहा […]
सरकार के स्तर से विद्यालय के बच्चों के लिए पोशाक, साइकिल, खेलकूद की सामग्री एवं छात्रवृत्ति का प्रावधान है और ये सुविधाएं मिल भी रही हैं. लेकिन विद्यालय, जिसे विद्या का मंदिर कहा जाता है, उसी विद्यालय में चल रहे मध्याह्न् भोजन में बच्चों को अपने घर से थाली के साथ विद्यालय जाना पड़ रहा है. यह कैसी शिक्षा व्यवस्था है, जहां बच्चों के मन में शुरुआती दौर से ही हीन भावना का बीज बोया जा रहा है.
ऐसा लगता है कि पढ़ाई-लिखाई की आड़ में भीख मांगने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. स्कूल के मास्टर साहब का काम अब पढ़ाना-लिखाना छोड़ कर बच्चों के लिए राशन-पानी की व्यवस्था करना रह गया है. आज के स्पर्धा के दौर में भला इन बच्चों का भविष्य किस दिशा में जा रहा है? आखिर इसके लिए कौन दोषी है? और कब तक यह सिलसिला चलेगा?
पीसी चौधरी, गिरिडीह
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