सीआइआरडी के ज्ञान यज्ञ में निर्द्वंद्व जीवन पर चर्चावरीय संवाददाता, जमशेदपुर जीवन को सुंदर एवं निर्द्वंद्व (सुख- दुख से मुक्त) बनाने में आत्म प्रयास की अहम भूमिका है. आत्मा सर्वव्यापी, परमानंद मय, एवं सदैव अप्रभावित रहता है, लेकिन हम अपना वास्तविक परिचय भूल कर स्वयं को तुच्छ एवं सीमित शरीर समझ बैठते हैं. उक्त बातें स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने शुक्रवार को सोनारी आत्मीय वैभव विकास केंद्र में चल रहे ज्ञान यज्ञ के दौरान कही. उन्होंने कहा कि जीवन राग-द्वेष से नियंत्रित होकर संसार का दास हो जाता है. इसके विपरीत विवेक-बुद्धि को अपने वास्तविक परिचय के आश्रय में रख कर मन को विवेक-बुद्धि के वश में रखना चाहिए. ऐसा करने पर जीवन सांसारिक राग-द्वेष से सर्वथा अप्रभावित रह रहेगा. जो सदैव निर्द्वंद्व एवं प्रसन्न रहता है और वह संसार का स्वामी बन जाता है. उन्होंने कहा कि मनुष्य को सांसारिक विषयों का दास नहीं बल्कि उनका स्वामी बन कर रहना चाहिए. आज के कार्यक्रम में डॉ एसके दास, डॉ आलोक सेन गुप्ता, टाटा पिगमेंट्स के एमडी पी सरोदे, आरएस तिवारी, सुजीत सेन गुप्ता आदि ने सक्रिय योगदान दिया.
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आत्म प्रयास से ही जीवन सुंदर बनेगा : निर्विशेषानंद तीर्थ (फोटो अभी दिख नहीं रही है)
सीआइआरडी के ज्ञान यज्ञ में निर्द्वंद्व जीवन पर चर्चावरीय संवाददाता, जमशेदपुर जीवन को सुंदर एवं निर्द्वंद्व (सुख- दुख से मुक्त) बनाने में आत्म प्रयास की अहम भूमिका है. आत्मा सर्वव्यापी, परमानंद मय, एवं सदैव अप्रभावित रहता है, लेकिन हम अपना वास्तविक परिचय भूल कर स्वयं को तुच्छ एवं सीमित शरीर समझ बैठते हैं. उक्त बातें […]
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