जमशेदपुर: जेपीपी के अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि 1932 का खतियान ही आदिवासी-मूलवासियों की पहचान होगा. वर्तमान सरकार के मंत्री राजेंद्र सिंह द्वारा जो प्रारूप तैयार किया गया है उसके मुताबिक जो 1985 से यहां रह रहा है, वह स्थानीय है.
इससे बड़ा विवाद पैदा हो जायेगा. इस मसौदे को खारिज करने और स्थानीयता नीति तय करने की मांग पर एक अगस्त को आहूत झारखंड बंद का वे सभी दल के साथ समर्थन करते हैं. श्री बेसरा बुधवार को सर्किट हाउस में आदिवासी-मूलवासी समुदाय के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
श्री बेसरा ने कहा कि सरकार जब 50 प्रतिशत को आरक्षण देने की बात स्वीकार करती है, तो शेष 50 प्रतिशत का फायदा किनको किस रूप में पहुंचाया गया, इसका खुलासा किया जाना चाहिए. स्थानीयता पर झारखंडियों का हक बनता है. उन्होंने कहा कि दो अगस्त को रांची में स्थानीयता नीति के समर्थन में आयोजित आमरण -अनशन में शामिल होने जमशेदपुर से काफी लोग जायेंगे. उसी दिन स्थानीयता नीति पर गैर सरकारी प्रारूप बनाकर सरकार को सौंपा जायेगा. संवाददाता सम्मेलन में सिदो-कान्हू हूल अखाड़ा के डीसी मुमरू, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के फागू बेसरा, मूलवासी अधिकार मंच के हरमोहन महतो, आदिवासी कुड़मी छात्र मोरचा के प्रणव महतो व आदिवासी छात्र दल के राजेश महतो मौजूद थे.