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उधार पर जी रहीं 80,000 छात्राएं

जमशेदपुर: झारखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय उधार के भरोसे संचालित हो रहा है. राज्य में पिछले चार महीने से कोई फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है. हालत यह है कि उधार का राशन लेकर छात्राओं को खाना दिया जा रहा है. दुकानदार उम्मीद पर राशन तो दे दे रहे हैं लेकिन सब्जी, फल, […]

जमशेदपुर: झारखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय उधार के भरोसे संचालित हो रहा है. राज्य में पिछले चार महीने से कोई फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है. हालत यह है कि उधार का राशन लेकर छात्राओं को खाना दिया जा रहा है.

दुकानदार उम्मीद पर राशन तो दे दे रहे हैं लेकिन सब्जी, फल, दूध और अंडा नहीं मिल पा रहा है. इससे छात्राओंकी थाली से पौस्टिक भोजन गायब हो गयी हैं. चार महीने से परेशानी ङोल रहे करीब 80,000 छात्राओं के प्रति राज्य सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. विद्यालय की शिक्षिका और छात्राओंकी देखभाल करने वाली वार्डन भी बगैर वेतन के अपनी डय़ूटी करने को विवश हैं.

क्या है कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय
राज्य की शिक्षा परियोजना के तहत संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में गरीब और मेधावी छात्राओं को छठी से लेकर मैट्रिक तक की शिक्षा दी जाती है. उन्हें विद्यालय में ही रखा जाता है. उनके लिए उचित खान-पान व रहन-सहन के लिए सरकार की ओर से शिक्षिका और वार्डन की नियुक्ति की जाती है. इसे संचालित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों की ओर से सामूहिक रूप से फंडिंग की जाती है. हर प्रखंड में एक कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खोला गया है.

इफ्तार करने वाली छात्रएं छोड़ रही हैं स्कूल

पूर्वी सिंहभूम जिले में नौ कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय हैं. इसमें कुछ मुसलिम छात्राएं भी पढ़ती हैं. फंड के अभाव में विद्यालय में उनके लिए इफ्तार की सही तरीके से व्यवस्था नहीं हो पा रही है. इस वजह से वे रमजान के इस माह में स्कूल छोड़ रही हैं. हालांकि पूर्व में ऐसी छात्राओंके लिए फल आदि की व्यवस्था की जाती रही है.

एक महीने में जिले को चाहिए 40 लाख रुपये

इस जिले में कस्तूरबा की छात्राओं की सही तरीके से देख-रेख और पढ़ाई पर हर महीने करीब 40 लाख रुपये का खर्च आता है. इस खर्च में राशन के साथ-साथ शिक्षक और वार्डन का वेतन भी शामिल है. कमोबेश पूरे राज्य के जिलों में यही स्थिति है.

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