जमशेदपुर: पर्यावरण संरक्षण और क्लाइमेट चेंज को ध्यान में रखते हुए टाटा स्टील कई कदम उठा रही है. इसी कड़ी में कंपनी ने कार्बन उत्सजर्न कम करने के लिए विशेष कदम उठाया है. कंपनी ने ऑस्ट्रिया की प्लांट मेकर कंपनी सीमेंस मेटल्स टेक्नोलॉजी के साथ समझौता किया है. कंपनी ने हर हाल में पुराने प्लांट के आधुनिकीकरण को धरातल पर उतारने के लिए कंपनी को टारगेट दिया है.
प्रथम चरण में एलडी-2 में होने वाले कार्बन उत्सजर्न को कम करने का टास्क दिया गया है, ताकि मानक के तहत ही कार्बन उत्सजर्न हो सके. इसको सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा तय किये गये मानक को हासिल करना एक बड़ी चुनौती है. इस चुनौती को देखते हुए यह कदम उठाया जाना है. वर्ष 2016 तक कंपनी की ओर से लक्ष्य तय किया गया है कि कम से कम स्थानीय स्तर पर पर्यावरण को दुरुस्त किया जा सके और कंपनी के विभिन्न प्लांट के कारण हवा में होने वाले प्रदूषण, कार्बन उत्सजर्न समेत अन्य मामले को रोका जा सके. टाटा स्टील ने हाल ही में दस मिलियन टन (9.7 एमटी) के प्लांट के आधुनिकीकरण का काम पूरा किया है.
कंपनी में तीन ऐसे एलडी कंवर्टर है, जिसमें एलडी-1, एलडी-2, एलडी-3 टीएससीआर शामिल है. टाटा स्टील के 9.7 मिलियन टन के प्रोडक्शन की क्षमता को हासिल करने के बाद पूरे प्लांट और आसपास के इलाके का सर्वे कराया था. इसमें यह पता लगाने की कोशिश की गयी थी कि कितना कार्बन उत्सजर्न हो रहा है. इस दौरान खतरनाक जानकारी मिली थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है.