जमशेदपुर: राज्य सरकार असंगठित मजदूरों को संगठित करेगी. कंपनियों को रोजगार सृजन पर काम करने की जरूरत है. उक्त बातें राज्य के श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने कही. श्री त्रिपाठी शुक्रवार को बिष्टुपुर स्थित सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स सभागार में श्रम विभाग और सिंहभूम चैंबर के साथ संयुक्त रूप से आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
श्रम मंत्री ने कहा कि असंगठित मजदूरों को लेकर नयी नीति बनाने की जरूरत है. इस कार्य के लिए सिंहभूम चैंबर, सीआइआइ जैसी संस्थाओं को पहल करने की जरूरत है. श्रम मंत्री ने अपील की कि ट्रेड यूनियन असंगठित और ठेका मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराये ताकि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन लोगों तक पहुंचाया जा सके.
युवाओं को दक्ष बनायें कंपनियां
श्री त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में 16 हजार से अधिक छोटी – बड़ी कंपनियां हैं. हर कंपनी पांच युवा को दक्ष बनाये तो एक साल में आठ लाख युवा दक्ष बन सकते हैं. इसके लिए हमने टारगेट देने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है. उद्घाटन भाषण उपश्रमायुक्त एसएस पाठक ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सिंहभूम चेंबर के उपाध्यक्ष भरत वसानी ने दिया. कार्यक्रम में टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन, टाटा स्टील के वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी, टिनप्लेट के एमडी तरुण डांगा, पीएफ के क्षेत्रीय पदाधिकारी जय कुमार, मजदूर नेता राकेश्वर पांडेय, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष पीएन सिंह, डिप्टी चीफ फैक्टरी इंस्पेक्टर एके मिश्र आदि मौजूद थे.
यूनियन मजदूरों का मुद्दा लायें, हल होगा : नरेंद्रन
टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि टाटा स्टील कर्मचारियों के हित में लगातार काम करती आयी है. अगर कोई कमी रह जाती है, तो कंपनी निश्चित तौर पर इसे दूर करेगी. यूनियन ऐसे मामले को लाये. उन्होंने बताया कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का 25 फीसदी की हिस्सेदारी है,जबकि उद्योगों की हिस्सेदारी 55 फीसदी है. इस असमानता को दूर करने जरूरत है.
कर्मचारियों का शोषण नहीं रुक रहा : अरुण कुमार मिश्र
डिप्टी चीफ फैक्टरी इंस्पेक्टर अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि कंपनियों में 75 फीसदी कर्मचारी कांट्रैक्ट के हैं, जबकि 25 फीसदी कर्मचारी स्थायी तौर पर नियोजित हैं. कर्मचारियों के शोषण की हर दिन शिकायतें मिलती हैं. लेकिन शोषण रोक पाने में हम लोग (यानी सरकारी अधिकारी, मैनजमेंट और यूनियन सारे लोग) अक्षम साबित हो रहे हैं. कर्मचारियों को उसका वाजिब हक मिलना चाहिए.