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140 बंदियों की रिहाई लटकी

राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की नहीं हो रही बैठक मई 2017 में हुई थी बैठक, हाई कोर्ट के नामित सदस्य के रिटायर होने से नहीं हो पा रही बैठक जमशेदपुर : प्रदेश की विभिन्न जेलों में 20 साल या उससे अधिक की सजा काट चुके करीब 140 आजीवन कारावास के बंदियों की रिहाई लटक गयी […]

राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की नहीं हो रही बैठक

मई 2017 में हुई थी बैठक, हाई कोर्ट के नामित सदस्य के रिटायर होने से नहीं हो पा रही बैठक
जमशेदपुर : प्रदेश की विभिन्न जेलों में 20 साल या उससे अधिक की सजा काट चुके करीब 140 आजीवन कारावास के बंदियों की रिहाई लटक गयी है. इसकी वजह है झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक का नहीं होना. मई 2017 में पर्षद की बैठक हुई थी. इसके बाद से कोई बैठक नहीं हुई है.
इसकी वजह है कि कमेटी में हाई कोर्ट के नामित एक सदस्य का सेवानिवृत्त हो जाना है. इनकी जगह दूसरा सदस्य नामित किये जाने को लेकर गृह विभाग की ओर से पिछले दिनों हाई कोर्ट को पत्र भेजा गया था. वहीं जेल मुख्यालय की ओर से भी पर्षद की बैठक आयोजित किये जाने को लेकर संचिका गृह विभाग भेजी गयी है. इसकी पुष्टि एक अधिकारी ने की है. पर्षद के अध्यक्ष विभागीय मंत्री होते हैं. फिलवक्त जमशेदपुर के घाघीडीह सेंट्रल जेल के 31 बंदियों की रिहाई लटकी हुई है.
हर तीन माह पर होनी है बैठक. नियमानुसार हर तीन माह में पर्षद की बैठक होनी है. हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन उपाध्‍याय की अदालत ने 32 कैदियों की कारा मुक्ति क्रिमिनल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिसंबर 2017 में राज्‍य सरकार को 1984 पॉलिसी के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. जेल में वास्तविक अवधि 14 वर्ष और परिहार सहित 20 साल से अधिक की सजा काट चुके बंदियों को रिहा करने की परंपरा रही है. पर्षद की बैठक नहीं होने से जेल में बंद बंदियों ने हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिख न्याय की गुहार लगायी थी. साथ ही जेलों में अनशन के अलावा जेल से रिहाई या इच्छा मृत्यु की मांग की थी.
घाघीडीह में बंद हैं 31 बंदी
विपिन कुमार सिंह, हरिओम प्रसाद, जगमोहन सिंह कुटिया, गोरेलाल भुईयां, पाचेपाली करोई, साहू बारी, शिव शंकर महतो, रघुनाथ बलमुचू, शंकर सोय, अजय बरुआ, माटा पूर्ति, अरशद खां, फिरोज सिंह कुटिया, पंचम भुईयां, विष्णु कुरली, कंचन भुईयां, रूपचंद्र हांसदा, प्रदीप गोप, मानुरा बांडरा, मुलिया बांडरा, सुसारण सोय, टुडू मुंडा, गुमदा गोप, कुजीया बारी, राजू छत्तीसगढ़ियां, श्याम जोजो, प्रदीप पूर्ति, मारकुश गागराई, सोमा सोय, जोहन मुंडू, बाले मांझी 20 साल की सजा काट चुके हैं.

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