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एनएसएस मामले में रिपोर्ट पेश

जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय में एनएनएस विवाद की जांच पूरी हो गई है. विवाद में विवि को-ऑर्डिनेटर डॉ अरविंद पंडित की भूमिका की जांच करने वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कुलपति प्रो. डॉ शुक्ला महंती काे सौंप दी है. जांच रिपोर्ट में की गयी सिफारिश का अब तक खुलासा नहीं किया है. माना […]

जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय में एनएनएस विवाद की जांच पूरी हो गई है. विवाद में विवि को-ऑर्डिनेटर डॉ अरविंद पंडित की भूमिका की जांच करने वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कुलपति प्रो. डॉ शुक्ला महंती काे सौंप दी है. जांच रिपोर्ट में की गयी सिफारिश का अब तक खुलासा नहीं किया है. माना जा रहा है कि कमेटी ने एनएसएस में अलग-अलग स्तर पर हुई खामियों की तरफ रिपोर्ट में इशारा किया है. अभी कुलपति रिपोर्ट का अध्ययन कर रही हैं. वहीं पीएचडी अनियमितता की जांच कर रही कमेटी मामले में उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश कर सकती है.

जांच कमेटी के चेयरमैन सह प्रतिकुलपति डॉ रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि मामला गंभीर है. प्रारंभिक पड़ताल में कई स्तरों पर खामियां सामने आयीं हैं. जांच कमेटी के सचिव सह कुलानुशासक डॉ एके झा ने कहा कि जल्द ही जांच रिपोर्ट पेश कर दी जायेगी. कमेटी उन विकल्पों का अध्ययन कर रही है, जो सही तथ्यों को सामने रख सके. विवि सूत्रों की माने तो जांच कमेटी मामले को निगरानी के पास भेज सकती है. जांच में काॅमस, जूलोजी, हिन्दी, ओड़िया सहित कई विभागों में चौंकाने वाली जानकारी मिली है.
जांच में पता चला है कि विवि में ओडिशा का पीजी डिपार्टमेंट स्थापित किये बिना ही शोध प्रवेश परीक्षा आयोजित की गयी. विवि में करीब एक साल पहले बिना गाइड लाइन के डी लिट जैसे सर्वोच्च उपाधि के लिए पंजीकरण किया गया. इसमें काॅमर्स डिपार्टमेंट व जूलॉजी में कुछ शिक्षकों पर विशेष मेहरबानी हुई. पता चला है कि एक-एक असिस्टेंट प्राेफेसर के अंदर नौ उम्मीदवारों का शोध पंजीकरण किया गया. जूलॉजी में पांच लोगों का पंजीकरण किया गया.
को-ऑपरेटिव के प्रभारी प्राचार्य को नहीं मिलेगा एक्सटेंशन
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ एमआर सिन्हा आगामी मार्च माह में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. कॉलेज परिवार के कुछ कर्मचारियों व शिक्षकों की ओर से उन्हें दो साल का एक्सटेंशन देने की मांग हो रही है. हालांकि विवि प्रशासन ने नियमों का हवाला देकर ऐसा कर पाने में असमर्थता जतायी है. विवि के प्रवक्ता ने कहा कि यूनिवर्सिटी लॉ में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

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