एयर एंबुलेंस से भेजा गया था कोलकाता अपोलो
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एयर एंबुलेंस से भेजा गया था कोलकाता अपोलो 17 अगस्त को टाटा मोटर्स अस्पताल में हुए थे भरती एक माह में 60 बच्चों की मौत की हुई जांच तीन सदस्यीय टीम ने एमजीएम में की सात घंटे जांच बच्चों की मौत का आंकड़ा तैयार करने में छह घंटे लगे जमशेदपुर : सरकार जच्चा व बच्चा […]
17 अगस्त को टाटा मोटर्स अस्पताल में हुए थे भरती
एक माह में 60 बच्चों की मौत की हुई जांच
तीन सदस्यीय टीम ने एमजीएम में की सात घंटे जांच
बच्चों की मौत का आंकड़ा तैयार करने में छह घंटे लगे
जमशेदपुर : सरकार जच्चा व बच्चा की सुरक्षा के लिए हर साल करोड़ों रूपया खर्च कर रही है. इसके बाद भी सरकारी अस्पतालों में बच्चों की हो रही है लगातार मौतें सरकार के लिए सिर दर्द बन गयी है. कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में एक माह में एनआइसीयू, पीआइसीयू व बच्चों के मेडिकल वार्ड में कुल मिलाकर जुलाई माह में हुई अप्रत्याशित 60 बच्चों की मौत को विभाग ने गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के लिए तीन सदस्यों की टीम गठित की.
टीम में डायरेक्टर मेडिकल एंड एजुकेशन डॉ एएन मिश्रा, रीजनल डिप्टी डायरेक्टर डॉ हिमांशु भूषण, सिविल सर्जन डॉ केसी मुंडा शामिल हैं. टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को एमजीएम अस्पताल के बच्चा वार्ड में पहुंच कर अस्पताल में हो रही मौत के कारणों का पता लगाने की कोशिश की. टीम के सदस्यों ने एनआइसीयू, पीआइसीयू
व वार्ड में चार माह में बच्चों की हुई मौत के संबंध में बीएचटी व डाटा इंट्री की जांच की. इसके साथ ही उन सभी बच्चों की उम्र, किस कारण से हुई मौत इन सभी की जांच करने के साथ ही यहां बच्चों के इलाज के लिए क्या सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. इसकी जांच करने के साथ ही बच्चा वार्ड के प्रभारी सहित नर्स से भी पूछताछ की.
टीम ने सुबह 11 बजे से शाम छह बजे तक चली अपनी जांच के दौरान पाया कि अस्पताल में हो रही बच्चों की मौत से संबंधित आंकड़ा ठीक से नहीं रखा गया है. बीएचटी में उम्र कुछ और डाटा इंट्री के दौरान उम्र कुछ और दिया गया है. जिससे इसका आंकड़ा निकालने में काफी परेशानी हुई. उसके बाद अस्पताल में बीएचटी के आधार पर इस आंकड़े को निकाला गया. इसके साथ ही एनआइसीयू, पीआइसीयू व वार्ड में कितनी मृत्यु हुई है, उसे निकालने में लगभग छह घंटे लग गये.
निदेशक प्रमुख को भेजा गया
बच्चों की मौत की खबर पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी के निर्देश पर निदेशक प्रमुख डॉ सुमंत मिश्र तत्काल पहुंचे और एमजीएम अस्पताल में जांच की.
दोषी पर होगी कार्रवाई
निदेशक प्रमुख डॉ सुमंत मिश्रा ने कहा : बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है. अभी तक की जांच में यह बात सामने आयी है कि जिले में संस्थागत प्रसव बढ़ा है. पहले बच्चे की मौत हो जाती थी, तो पता ही नहीं चलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. संस्थागत प्रसव के बाद बच्चे की स्थिति खराब होने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और उसके बाद अस्पताल भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा, सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए
कई योजनाएं चला रही है. लेकिन जागरूकता के अभाव में गर्भवती महिलाएं इसका लाभ नहीं उठा पाती हैं. इससे विटामिन की पूरी खुराक नहीं मिल पाती है, जिससे कमजोर हो जाती है. इससे बच्चे भी कमजोर व कुपोषित पैदा हो रहे हैं. जांच टीम ने रिपोर्ट तैयार कर ली है. इसकी जांच की जायेगी. जो भी दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
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