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अस्पताल में बेड नहीं, विभाग ने आंखें मूंदी

जमशेदपुर: मानगो मुंशी मुहल्ला निवासी शहबाज की मौत के साथ ही शहर में डेंगू से मरने वालों की संख्या सात हो गयी है. लगातार मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि किसी भी मरीज की मौत की वजह डेंगू है. एमजीएम में डेंगू किट नहीं होने […]

जमशेदपुर: मानगो मुंशी मुहल्ला निवासी शहबाज की मौत के साथ ही शहर में डेंगू से मरने वालों की संख्या सात हो गयी है. लगातार मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि किसी भी मरीज की मौत की वजह डेंगू है. एमजीएम में डेंगू किट नहीं होने के कारण संदिग्ध मरीजों के रक्त को जांच के लिए रांची, कोलकाता व चाईबासा भेजा जाता है.
वहां से रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन लग जाते हैं. इस बीच अस्पतालों में कार्ड जांच के दौरान डेंगू की पुष्टि होने पर इलाज चालू कर दिया जाता है. बाहर से रिपोर्ट आने के पहले अगर किसी की मौत हो जाती है तो विभाग उसे डेंगू से मौत मानने को तैयार नहीं होता.
दूसरी ओर शहर के अस्पताल डेंगू, मलेरिया व वायरल फीवर के मरीजों से पटे पड़े हैं. मरीजों को बेड मिलना तक मुश्किल हो गया है. बेड के अभाव में कई अस्पतालों में मरीजों को ओपीडी में ही जांच कर घर भेज दिया जा रहा है. जिस मरीज की स्थिति ज्यादा खराब होती है, उनको ही भरती लिया जा रहा है. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि अभी अस्पताल में थोड़ा सा भी बुखार होने पर मरीज पहुंचकर भरती करने व डेंगू की जांच करने के लिए कहते है. बेड नहीं होने के कारण उन लोगों को भरती नहीं किया जा सकता है. इससे ओपीडी से दवा देकर छोड़ दिया जा रहा है. कई अस्पतालों में बरामदे में बेड लगा कर मरीजों का इलाज किया जा रहा है. हालांकि टीएमएच के पदाधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में बेड खाली नहीं है, लेकिन उन लोगों ने भरती मरीजों की संख्या बताने से इंकार कर दिया.

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