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मतदाताओं को रिझाने का प्रयास भी शुरू

सलाउद्दीनहजारीबाग:लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है. विभिन्न दलों में टिकट के दावेदार रांची और दिल्ली का दौरा बढ़ा दिया है. विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के संभावित उम्मीदवारों द्वारा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के उपाय शुरू कर दिया है. चुनावी अधिसूचना के इंतजार किये बगैर चुनावी […]

सलाउद्दीन

हजारीबाग:लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है. विभिन्न दलों में टिकट के दावेदार रांची और दिल्ली का दौरा बढ़ा दिया है. विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के संभावित उम्मीदवारों द्वारा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के उपाय शुरू कर दिया है. चुनावी अधिसूचना के इंतजार किये बगैर चुनावी दौरा, नुक्कड़ सभाएं काफी हो रहे हैं. 2014 लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक परिदृश्य अभी धुंधला है. दलीय उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद ही मुकाबले की सही-सही तसवीर सामने आ पायेगी. वैसे भाजपा से यशवंत सिन्हा, आजसू पार्टी से लोकनाथ महतो, सीपीआइ से भुवनेश्वर मेहता का टिकट मिलना तय माना जा रहा है. कांग्रेस, झाविमो उम्मीदवार की घोषणा आला कमान से होनी है. 2009 लोकसभा चुनाव में मिले मतों की समीक्षा कर राजनीतिक समीकरण बनाने में सभी दल जुटे हुए हैं. विधानसभा वार उम्मीदवारों को मिले मतों पर दलों की निगाह है.

पांच विधानसभा क्षेत्र हैं

लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा और कांग्रेस उम्मीदवार सौरभ नारायण सिंह दो-दो विधानसभा सीट पर बढ़त बनाये थे. भाजपा उम्मीदवार को हजारीबाग सदर और मांडू में बढ़त मिला था. कांग्रेस उम्मीदवार को बरही और बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिला था. आजसू पार्टी उम्मीदवार चंद्रप्रकाश चौधरी को रामगढ़ विधानसभा सीट में बढ़त मिला था. भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच इस संसदीय क्षेत्र में पहली बार सीधा मुकाबला हुआ. यशवंत सिन्हा 219803 मत और सौरभ नारायण सिंह 179646 मत लाये. जीत हार का अंतर 40157 मतों का रहा था. तीसरे नंबर पर चंद्रप्रकाश चौधरी, चौथे नंबर पर शिवलाल महतो, पांचवे नंबर पर भुवनेश्वर मेहता और छठे नंबर पर ब्रजकिशोर जायसवाल रहे थे.

लंबी है समस्याओं की फेहरिस्त

हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र में विकास के काम बेशक हुए हैं. लेकिन परेशानियों और समस्याओं की फेहरिस्त आज भी लंबी है. जिला मुख्यालय शहरी क्षेत्र एवं गांवों में सड़क, सिंचाई, पेयजल, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र की आधारभूत समस्याएं बरकरार है. लोगों को इस बात का भी मलाल है कि मॉडल शहर या मॉडल गांव बनाने के वादों पर काम नहीं हुआ. नये वोटर विशेष कर शिक्षित युवकों में नाराजगी सबसे अधिक है. इनके रोजगार के लिए कोई अवसर उपलब्ध नहीं कराये गये. कोई नया कल कारखाना खोलने की दिशा में भी काम नहीं हुआ. युवाओं का भविष्य अपने शहर में बनता दिख नहीं रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी कृषि आधारित उद्योग धंधों की संभावना लगभग समाप्त है. अब तो खेतों को भी बंजर और लोगों को विस्थापित करने की तैयारी जोरों पर है. इससे भी स्थानीय लोग काफी नाराज हैं. समय-समय पर पर्यटन स्थलों को विकसित करने की बात सामने आती रही है. लेकिन सड़कों पर जब बड़े-बड़े गड्ढे गदरे-गुबारवाला शहर हजारीबाग बन गया, तो अब लोगों को इस बात से भी विश्वास उठता जा रहा है कि राज्य व देश स्तर के पर्यटक इन क्षेत्रों में आयेंगे. वृद्ध लोगों को भी बिना भ्रष्टाचार के सुविधाएं मुहैया नहीं हो रही है. महिलाएं भी परेशान हैं कि इन्हें भी हर क्षेत्रों में बढ़ने के लिए कोई अवसर उपलब्ध नहीं कराया गया. बहरहाल मतदाताओं की परेशानियां चुनावी मुद्दा बन कर सामने आ गया है.

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