हजारीबाग : धर्म में राजनीति का प्रवेश होने पर महाभारत होता है. राजनीति में धर्म का प्रवेश होने पर रामायण रचता है. उपरोक्त बातें प्रमाण सागर जी महाराज ने कही. दिगंबर जैन मंदिर बड़ा बाजार परिसर में गुरुवार को मुनिश्री का पत्रकार सम्मेलन हुआ. उन्होंने कहा कि धर्म को राजनीति से जोड़ना सही नहीं है.
धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए. मीडिया में सकारात्मक पहलुओं को अधिक महत्व मिले. नाकारात्मक समाचारों से समाज प्रभावित होता है. मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य आज के मूल्यों को समझने लगे तो कल की चिंता करने से बच जायेगा. उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील किया कि बच्चों को संपत्ति नहीं संस्कार दें.
हजारीबाग के विकास के संबंध में कहा कि 25 साल पहलेवाला हजारीबाग शहर अब नहीं रहा. अब लोग मुहल्ले व कसबों में बंट गये हैं. पहले पूरा शहर एक कुटुंब की तरह हुआ करता था. उन्होंने कहा कि पंचकल्याणक महोत्सव में पूरा हजारीबाग भाग ले.
मुनिराज श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज का जीवन परिचय
मुनि श्री का जन्म हजारीबाग में 27 जून 1967 को हुआ था. पिता सुरेंद्र कुमार जी सेठी एवं माता सोहनी देवी के पुत्र नवीन कुमार जैन (प्रमाण सागर जी का पूर्व नाम) है.
31 मार्च 1988 को महावीर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के दिगंबर सिद्ध क्षेत्र सोनागिर में संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महाराज के द्वारा मुनि दीक्षा की प्राप्ति की. प्रमाण सागर जी महाराज की ओजस्वी वाणी स्नेताओं के मन मस्तिष्क को झकझोर देती है. ये प्रखर वक्ता व उत्कृष्ट लेखक भी हैं.
इन्होंने जैन धर्म और दर्शन, जैन तत्वविद्या, दिव्य जीवन का द्वार, जैन सिद्धांत, शिक्षण धर्म जीवन का आधार, पाठ पढ़े नवजीवन का, सुखी जीवन की राह, लक्ष्य जीवन का, कर्म जीवन का, मर्म जीवन का इनकी प्रमुख रचनाएं है. 17 वर्ष की आयु में नवीन कुमार जैन ने मुनि श्री की दीक्षा ली एवं आज समस्त भारत वर्ष के दिगंबर मुनियों में उत्कृष्ट स्थान रखते हैं.