उत्क्रमित उवि तुलबुल जाने में पहाड़ी व जंगल रास्ते और गड़िया नदी से गुजरना पड़ता है
बरसात में पानी अधिक होने पर मानव श्रृंखला बना कर नदी पार करती है बच्चियां
कान्हाचट्टी : मन में कुछ करने का जज्बा हो, तो कठिन से कठिन मंजिल भी मिल जाती है. कान्हाचट्टी प्रखंड के गड़िया गांव की बेटियां 12 किमी पैदल चल कर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए हर प्रतिदिन उत्क्रमित उच्च विद्यालय तुलबुल जाकर पढ़ाई कर रही है. पहाड़, जंगल व नदी पार कर स्कूल आती सभी बच्चियां. स्कूल जाने के लिए छात्राओं को पहाड़ी रास्ते से गुजरना पड़ता है. रास्ते में गड़िया नदी भी पड़ती है. जिसे पार कर विद्यालय छात्राएं स्कूल पहुंचती है. बरसात में अधिक पानी होने पर मानव श्रृंखला बनाकर बच्चियां नदी पार करती है. इस गांव के अबतक 30 लड़कियां मैट्रिक पास कर चुकी है. इसके अलावा प्रखंड मुख्यालय में स्थित बीके प्लस टू उवि में इंटर की पढ़ाई कर रही है. इसमें बच्चियों के अभिभावक भी पूरा सहयोग कर रहे हैं.
अनुमति मिलते ही सड़क का निर्माण किया जायेगा : मुखिया
मुखिया सीता देवी ने कहा कि मनरेगा के तहत सड़क बनाने का प्रस्ताव ग्रामसभा में पारित किया गया है. अनुमति मिलते ही सड़क का निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा. कहा कि मवि गड़िया को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित कराने की मांग शिक्षा विभाग के अधिकारियों से करेंगे.
अभिभावकों ने कहा, बेटियों ने पढ़ाई कर शादी की चिंता दूर कर दी है
गड़िया के ग्रामीण अजय यादव ने बताया कि बेटियों ने पढ़ाई कर शादी की चिंता दूर कर दी है. जब से बेटियां मैट्रिक व इंटर की है, दूसरे गांव के लोग शादी का प्रस्ताव लेकर पहुंचने लगे हैं.
इसके पूर्व इस गांव में शादी करने से लोग इनकार कर देते थे. शिक्षा ने ग्रामीणों की समस्या को दूर कर दिया है. सोमर सिंह भोक्ता ने कहा कि हमारी पुत्री ज्ञानती कुमारी 2013 में मैट्रिक पास की. मैट्रिक पास करते ही दूसरे गांव के लोग आये और बेटी की शादी कर ले गये. बलराम यादव ने कहा कि हमारी बेटी उर्मिला कुमारी इंटर पास करते ही उसका शादी का प्रस्ताव आने लगा है. बेटी आगे और पढ़ना चाहती है, इसलिए अभी उसकी शादी नहीं कर रहा हूं. कई ग्रामीणों ने बताया कि पांच साल पूर्व बेटियों की शादी के लिए काफी चिंता होती थी. बेटियों ने पढ़ाई कर हमलोगों की चिंता दूर कर दी है.
स्कूल पहुंचने में लगता है दो घंटे का समय
पिछले वर्ष तीन लड़कियों ने आइएससी की परीक्षा पास की है. इनमें उर्मिला, नीलम व ज्ञानति शामिल हैं. इस वर्ष भी गांव के 12 लड़कियां नौवी व दसवीं की पढ़ाई कर रही है. ये सभी पैदल स्कूल आती-जाती है. घर का काम निबटा कर सुबह छह बजे घर से निकलती है और आठ बजे विद्यालय पहुंचती है.
कई बार फॉर्म जमा किया गया, पर आज तक नहीं मिली साइकिल
नौवीं कक्षा की छात्रा कलावति कुमारी ने बताया कि विद्यालय से साइकिल नहीं मिली है. कई बार साइकिल के फार्म भी जमा लिया गया, लेकिन आजतक साइकिल नहीं मिली. इसके बावजूद पैदल पढ़ाई करने विद्यालय आती हूं.
पिंकी कुमारी व अनिता कुमारी ने बताया कि बरसात में सबसे अधिक परेशानी होती है. प्लास्टिक ओढ़ कर व किताब व कॉपी छुपा कर विद्यालय आती हूं. जंगली रास्ता होने के कारण जंगली जानवरों का भय बना रहता है. फिर भी विद्यालय आना नहीं छोड़ती हूं. सड़क नहीं रहने से पगडंडियों के सहारे आते-जाते हैं.