हजारीबाग : हिंदी के सुविख्यात कथाकार एवं हंस के संपादक राजेंद्र यादव के निधन का समाचार सुन हजारीबाग के साहित्यकार भी मर्माहत हैं. वरिष्ठ कवि शंभु बादल ने कहा कि राजेंद्र यादव का जाना कथा साहित्य के उज्जवल नक्षत्र का अस्त हो जाना है.
अपनी कथा,विचार एवं हंस के माध्यम से राजेंद्र जी ने हिंदी साहित्य को एक खास तरह की गति दी है. उनके जाने से हम मर्माहत है.
वरिष्ठ कवि एवं आलोचक भारत यायावर ने कहा कि राजेंद्र यादव नयी कहानी के सूत्रधारों में एक थे. उन्होंने कथा साहित्य एवं आलोचना में युगांतकारी महत्व का लेखन किया है. उनका हिंदी साहित्य महत्व अक्षुण्य है. हंस पत्रिका निकाल कर उन्होंने बहुत सारी नयी प्रतिभाओं कों हिंदी साहित्य में स्थापित किया. कथाकार रतन वर्मा ने कहा कि राजेंद्र यादव ने रचनाकारों को प्रोत्साहित किया करते थे.
उनमें से एक मैं भी हूं. उनके पत्र आते रहे और वे कहते रहे कि लगातार लिखते रहो. युवा कवि गणोश चंद्र राही ने कहा कि राजेंद्र यादव ने दलित चेतना और साहित्य को हंस के माध्यम से बहस के केंद्र में लाया. वे नयी कहानी आंदोलन के पुरोधा थे.
जावेद इसलाम ने कहा कि राजेंद्र यादव ने कथा साहित्य एवं हंस के माध्यम हिंदी कथा साहित्य को समृद्ध किये. इसके अलावा, अरविंद झा, विष्णुकांत कुशवाहा,सुबोध कुमार शिवगीत सहित शहर के अन्य साहित्यकार ने शोक संवेदना व्यक्त की.