* 160 साल से बरही से जुड़ा था सुख–दुख का तार
।। जावेद इसलाम ।।
बरही : तार (टेलीग्राम) सेवा का वजूद रविवार रात 10 बजे से इतिहास की चीज हो जायेगी. इसकी केवल याद भर रह जायेगी. एक समय था जब तार आने की खबर से ही लोग किसी अनहोनी की सूचना से सिहर उठते थे.
लोगों के बीच अच्छी तो कम लेकिन बुरी खबरों के लिए तार का आना ज्यादा प्रचलित था. मगर बरही के लिए यह यादें कुछ खास महत्व रखती है. जब ब्रिटिश काल में वर्ष 1853 में कोलकाता से आगरा तक टेलीग्राम सेवा शुरू हुई थी तो उसका एक महत्वपूर्ण पड़ाव बरही भी बना था. कोलकाता से आगरा तक जीटी रोड के किनारे टेलीग्राम के केबुल बिछाये गये थे और जीटी रोड पर अवस्थित बरही में रिपीटर स्टेशन व तार घर स्थापित किया गया था.
ब्रिटिश शैली में बने तार घर के विशाल भवन का अवशेष आज भी मौजूद है. तार घर को लोग तार बंगला कहते थे. इस तार बंगला के आसपास बसे मुहल्ले का नाम तार बंगला पड़ गया है. हालांकि आज तार घर का वजूद समाप्त हो गया है. सात–आठ वर्ष पहले यहां तार व्यवस्था भी बंद कर दी गयी थी, मगर उसके नाम पर बसा तार बंगला मुहल्ला आज भी मौजूद है.
यह तार बंगला मुहल्ला तार घर की याद दिलाता रहेगा. बता दें कि ब्रिटिश काल में बरही एक महत्वपूर्ण स्थल था. अंग्रेजों ने बरही में राजस्व सब डिवीजन कार्यालय, पीडब्ल्यूडी कार्यालय, सार्जेट बंगला व अफीम के कारोबार के लिए व्यापारिक कोठी स्थापित की थी. कोठी वाला क्षेत्र आज अफीम कोठी मुहल्ला के नाम से जाना जाता है.
* 1853 में कोलकाता से आगरा तक टेलीग्राम सेवा शुरू हुई थी तो उसका एक महत्वपूर्ण पड़ाव बरही भी था
* बरही में रिपीटर स्टेशन व तार घर स्थापित किया गया था
* ब्रिटिश काल में बने तार घर के भवन का अवशेष आज भी मौजूद
* तार घर की याद दिलाता रहेगा तार बंगला मुहल्ला
* अंग्रेजों ने बरही में राजस्व सब डिवीजन कार्यालय, पीडब्ल्यूडी कार्यालय, सार्जेट बंगला तथा अफीम के कारोबार के लिए व्यापारिक कोठी स्थापित की थी