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भाषा तभी बचेगी, जब हम अपनी भाषा में बात करेंगे : डॉ बद्रीनाथ

केओ कॉलेज के कुड़ुख विभाग में विश्व मातृभाषा दिवस मना

केओ कॉलेज के कुड़ुख विभाग में विश्व मातृभाषा दिवस मना गुमला. कार्तिक उरांव कॉलेज के कुड़ुख विभाग में शुक्रवार को विश्व मातृभाषा दिवस मनाया गया. इसका शुभारंभ मुख्य अतिथि कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ बद्रीनाथ मिश्रा ने किया. उन्होंने कहा कि भाषा अर्जित संपत्ति है. मुंह से निकलने वाले शब्द को ही छोटा बच्चा ग्रहण कर लेता है. मातृभाषा मां की भाषा है. यदि मां अपनी भाषा बोलती है, तो बच्चों को सीखने में परेशानी नहीं होती है. हम वातावरण से अपने मां-बाप, भाई-बहन से सीख लेते हैं. मातृभाषा सीखने के लिए स्कूल जाने की जरूरत नहीं होती है. कहा कि भाषा हर 100 साल में बदलती रहती है. आप जहां भी रहें, अपनी भाषा में ही बात करें, तभी भाषा बचेगी. कुड़ुख विभाग के विभागाध्यक्ष प्रेमचंद उरांव ने कहा कि एक भाषा में उसकी संस्कृति व दर्शन छुपे होते हैं. इसलिए इसे बचाने के लिए 2022-2032 तक संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भाषा दशक मनाया जा रहा है. इसमें हम सभी उसका हिस्सा हैं. साहित्यकार डॉ तेतरू उरांव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भाषायी विविधता को बढ़ावा देने व मातृ भाषाओं के संरक्षण के लिए मातृभाषा दिवस मनाने का विचार किया और साल 1999 में 21 फरवरी को मनाने की घोषणा की और यह सिलसिला आज भी जारी है. विश्व आदिवासी दिवस मनाने का मूल उद्देश्य मातृ भाषाओं को बढ़ावा देना, संरक्षण करना, भाषायी विविधता व बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता बढ़ाना, सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना, शिक्षा में सुधार लाना है. डॉ प्रश्नजीत मुखर्जी ने कहा कि भाषा को बचाने व उसके विकास के लिए लिखना जरूरी है. प्रो संजय कुमार ने कहा कि अपनी भाषा से बात करने में आत्मीयता का बोध होता है. प्रोफेसर अशुंमिता ने कहा कि मां की मुख से निकला भाषा ही मातृभाषा है. डॉ लक्ष्मण उरांव व डॉ शोयेब ने कहा कि भाषा हमें अपनी पहचान दिलाती है. प्रो शशि विनय भगत ने कहा कि भाषा को बचाने के लिए अपने घर में बोलना जरूरी है. संचालन पूनम कुमारी ने किया. मौके पर पूनम कच्छप, नितेश तिग्गा, रीना कुमारी, सुलेंद्र उरांव, सरस्वती कुमारी आदि मौजूद थे.

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