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गांव के लोगों की मदद करता था नायमन
ग्रामीणों ने कहा गुमला : शहीद नायमन कुजूर उरू गांव के लिए किसी प्रेरणा पुरुष से कम नहीं था. वह गांव के लोगों की मदद करता था. छुट्टी में जब भी गांव आता था, वृद्ध महिलाओं के लिए साड़ी, वृद्ध लोगों के लिए धोती-कुर्ता व युवकों के लिए फुटबॉल जरूर लेकर आता था. एक अच्छे […]
ग्रामीणों ने कहा
गुमला : शहीद नायमन कुजूर उरू गांव के लिए किसी प्रेरणा पुरुष से कम नहीं था. वह गांव के लोगों की मदद करता था.
छुट्टी में जब भी गांव आता था, वृद्ध महिलाओं के लिए साड़ी, वृद्ध लोगों के लिए धोती-कुर्ता व युवकों के लिए फुटबॉल जरूर लेकर आता था. एक अच्छे फुटबॉलर के साथ अच्छा इनसान भी था.
ये बातें गांव के लोगों ने कही. उरू बारडीह के सुदीप लोहरा ने कहा कि वे बहुत अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे. मेरे से सीनियर थे. छुट्टी में आने के बाद पूरा गांव घूमते थे. सभी लोगों से मिलते थे.
सभी के चहेता था. गांव के मंगरू उरांव ने कहा कि मैं उसे बचपन से देख रहा हूं. वह अच्छा युवक था. जिस प्रकार गांव में उसने नाम कमाया था, आज शहीद होकर पूरे भारत देश में उसका नाम हो रहा है. उसे भुलाया नहीं जा सकता. डुगू खेरवार ने कहा कि मैं तो अब वृद्ध हो चली. नायमन बहुत ही अच्छा युवक था. जंगल से निकल कर सेना में भरती हुआ. आज भी शहीद का गांव उपेक्षित है. विकास की उम्मीद है. पड़ोसी अमरजोत कुजूर ने कहा कि हमें तकलीफ होती है कि हमारे गांव का बेटा शहीद हुआ, परंतु गांव तक आने के लिए सड़क नहीं है. गांव कई समस्याओं से जूझ रहा है.
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