बिशुनपुर के नक्सल प्रभावित बोरांग गांव में श्रमदान से बोरा बांध बना कर नदी के पानी को रोका गया है. किसानों ने 18 एकड़ में गरमा धान व 15 एकड़ में सब्जी लगा कर खुश हैं. वहीं घाघरा गांव में 12 एकड़ खेत में गेहूं की फसल लहलहा रही है.
गुमला : बिशुनपुर प्रखंड से करीब 24 किमी दूर बोरांग व 22 किमी दूर बसा है घाघरा गांव़ ये घोर नक्सल प्रभावित गांव हैं. भाकपा माओवादियों का सेफ जोन माना जाता है. इस क्षेत्र में सिंचाई का कोई साधन नहीं है.
गरीबी व पिछड़ापन गांव की पहचान बन गयी है. सिंचाई का साधन नहीं होने के कारण कल तक इस गांव के लोग पलायन कर रहे थे. तीन वर्ष से बारिश नहीं होने से भी इस क्षेत्र में सुखाड़ की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन विकास भारती बिशुनपुर की पहल से गांव के किसान अब पलायन से मुंह मोड़ गांव में खेतीबारी कर रहे हैं. नक्सल से जूझ रहे इस गांव में अब किसान हल-बैल से परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं. इसकी पहल शुरू हो गयी है. गांव के सूखे खेत को पानी मिले, इसके लिए घाघरा नदी व बोरांग के सददा नदी में बोरा बांध से नदी के पानी को गांव में रोका गया है.
अभी स्थिति यह है कि नदी के किनारे जितने भी बेजान खेत थे, आज सिंचाई का पानी मिलने से लहलहाने लगे हैं. बोरांग गांव के 65 एकड़ खेत को पानी मिल रहा है. इसमें किसान 18 एकड़ खेत में गरमा धान व 15 एकड़ खेत में सब्जी की खेती कर रहे हैं. चारों तरफ हरियाली है. वहीं घाघरा नदी में 23 मीटर लंबा बोरा बांध बनाया गया है. यहां 12 एकड़ खेत को पानी मिल रहा है और किसान गेहूं की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा टमाटर, लौकी व करेला की सब्जी लगायी है. घाघरा गांव के 24 परिवार के 44 किसानों ने श्रमदान कर बोरा बांध बनाया है.
इन किसानों ने किया श्रमदान :
विनोद कुमार, लोवा महली, फुलेदव खेरवार, रामू लोहरा, बालकिशुन, बालकेश्वर खेरवार, हीमा खेरवार, दिलेश्वर उरांव, जतरू उरांव, लक्ष्मण महली, रामपाल भगत, पाते उरांव, तालूबा उरांव के अलावा 100 किसान व विकास भारती के लोग. किसानों ने कहा : बोरा बांध से गांव के खेत को पानी मिल रहा है.
अगर सरकार स्थायी रूप से जहां जलस्त्रोत है, वहां छोटा चेकडैम बना दे, तो इस क्षेत्र के लोग सालों भर खेती कर सकेंगे. गांव में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. विकास भारती की पहल से बोरा बांध बनाया गया है.