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गुड़ाम में बरसी गोलियां
15 मिनट तक उग्रवादियों ने की अंधाधुंध फायरिंग 25 मजदूर लगे थे सड़क िनर्माण में चार की मौत गुमला में वर्ष 2016 की सबसे बड़ी उग्रवादी घटना हुई. वह भी बेकसूर मजदूरों को उग्रवादियों ने निशाना बनाया. इस घटना से जहां आक्रोश है. वहीं, डाचूटोली गांव में मातम छाया हुआ है. इलाके के लोग डरे […]
15 मिनट तक उग्रवादियों ने की अंधाधुंध फायरिंग
25 मजदूर लगे थे सड़क िनर्माण में चार की मौत
गुमला में वर्ष 2016 की सबसे बड़ी उग्रवादी घटना हुई. वह भी बेकसूर मजदूरों को उग्रवादियों ने निशाना बनाया. इस घटना से जहां आक्रोश है. वहीं, डाचूटोली गांव में मातम छाया हुआ है. इलाके के लोग डरे हुए हैं.
दुर्जय/कमलेश4गुमला/बसिया : घटना स्थल : बसिया प्रखंड के गुड़ाम मसरीबेड़ा. पूरा इलाका सुनसान. बगल में पहाड़ है. घना जंगल भी है. समय : दिन के 11 बजे. सड़क का काम हो रहा था. 25 मजदूर अपने कामों में लगे हुए थे. इसमें 15 महिला मजदूर थी. सभी अपना -अपना काम कर रहे थे. सड़क पर बोल्डर पत्थर बिछा रहे थे. तभी पुलिस की वरदी में हथियारबंद उग्रवादी पहुंचे. सड़क के दोनों छोर से उग्रवादी पैदल आये थे. जैसा मजदूरों ने बताया. एक उग्रवादी ने मुंशी रामपति को पकड़ लिया. उससे बोला. किसने काम शुरू करने के लिए कहा है. इतना कहते ही पहले उग्रवादियों ने रामपति को गोलियों से भून दिया. इसके बाद अंधाधुंध फायरिंग कर दी.
इसमें अजय की सड़क निर्माण स्थल पर ही गोली लगने से मौत हो गयी. ललित व रविशंकर खेत के मेढ़ में जाकर छिप गये. उग्रवादियों ने दोनों को खेत में ही जाकर गोलियों से भून दिया. इधर, जब उग्रवादी अंधाधुंध फायरिंग की, तो अन्य 21 मजदूर वहां से भागने लगे. जिसे जहां मौका मिला, वे वहीं छिप गये. सुरक्षित बचे मजदूरों के अनुसार उग्रवादी 15 मिनट तक रुके थे. जब उग्रवादी चले गये, तो मजदूर वहां पहुंचे. देखा कि चार लोगों की जान चली गयी है. किसी का सिर उड़ गया, तो किसी का हाथ गायब हो गया.
इधर, घटना की जिम्मेवारी लेते हुए पीएलएफआइ के एरिया कमांडर बादल ने बताया कि मेरे नेतृत्व में 15 उग्रवादी साथी गये थे. हमलोगों ने पहाड़ी चीता गिरोह के सदस्यों को मारा है. बेकसूर लोगों को कुछ नहीं किया है. हमला करने से पहले सुकरूड़ा व गुड़ाम के रास्ते को बंद कर दिया था. लोगों का आवाजाही बंद करके सड़क निर्माण स्थल पर हमला कर चार लोगों को मारा है. बादल ने यह भी कहा कि वह अपने दस्ते के साथ चार एके-47, दो एसएलआर, एक इंसास, दो सिमी बंदूक से हमला किया था.
डाचूटोली गांव में मातम
मारे गये अजय, ललित व रविशंकर डाचूटोली गांव के हैं. घटना के बाद गांव के लोग दहशत में है. मातम भी छाया हुआ है. ग्रामीणों ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगायी है. हालांकि डीजीपी डीके पांडेय व ऑपरेशन आइजी एसएन प्रधान गांव पहुंच कर लोगों को भरोसा दिलाया कि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए है. अगर अब उग्रवादी आयेंगे ,तो वे मारे जायेंगे. पुलिस अधिकारियों ने गांव को सुरक्षा देने के अलावा परिजनों को उचित मुआवजा देने की आश्वासन दिया है.
पहले भी काम बंद कराया था : सड़क का काम एक साल पहले भी उग्रवादियों ने बंद कराया था. उस समय उग्रवादियों के हमले में एक मजदूर को गोली लगी थी. इधर कई दिनों से काम बंद था. 15 दिन पहले ठेकेदार ने काम शुरू कराया था.
नहीं भागता, तो मैं भी मर जाता
प्रत्यक्षदर्शी मजदूर कलींद्र साहू ने कहा कि उग्रवादी पुलिस की वरदी में आये थे. आते ही गाली देने लगे. इसके बाद गोली बरसानी शुरू कर दी. किसी प्रकार मैं भाग कर जान बचाया. मेरे साथ अन्य 20 मजदूर भी भाग कर जाने बचाये. अगर हम नहीं भागते तो हमें भी मार देते. महिला मजदूर पुष्पा देवी ने कहा कि गोली चली तो किसी प्रकार गिरते पड़ते भागे. गोलियों की आवाज से पूरा इलाका गूंज रहा था.
पहले भी हमला हुआ था : भोला
मृतक ललित के पिता भोला साहू ने कहा कि दो साल पहले भी उग्रवादियों ने उसके घर पर हमला किया था. उस समय ललित को खोज रहे थे. 50 हजार रुपये की लेवी मांग रहे थे. नहीं देने पर मुझपर गोली चलायी थी. इससे मैं घायल हो गया था. उसका बेटा आज मारा गया. वह कमाने वाला एकलौता था. उसके दो बच्चे हैं. अब कैसे परवरिश करेंगे. पुलिस प्रशासन अब मदद करें.
24 दिसंबर 2014 को कामडारा के मुरगीकोना में सात लोगों की हत्या
18 सितंबर 2006 को कामडारा के कुरकुरा में छह लोगों की हत्या
2012 में बसिया थाना के डाड़केसा में चार भाईयों की हत्या
7 जनवरी 2011 में गुमला टैसेरा में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या
7 जनवरी 2011 को गुमला वृंदा में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या.
आठ अप्रैल 2009 को पालकोट के गुड़मा में नौ लोगों को जिंदा जला दिया था.
2012 में रायडीह के जमगई में शादी समारोह में चार लोगों की हत्या.
21 मई 2008 को गुमला के कोटाम में तीन लोगों की हत्या.
वर्ष 2008 में रायडीह में गुमला के पांच युवकों की हत्या.
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