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::: पहले गांधीगीरी से चलता था राजपाट

::: पहले गांधीगीरी से चलता था राजपाटपूर्व सरपंच गुमटी में फूल बेच कर परिवार चला रहा है. 1 गुम 1 में ज्ञानी सावप्रतिनिधि, डुमरीडुमरी प्रखंड के जैरागी गांव निवासी पूर्व सरपंच ज्ञानी साव (75 वर्ष) की उम्र ढल रही है. वे 1978 के चुनाव में जैरागी पंचायत से सरपंच बने थे. 30 साल पहले व […]

::: पहले गांधीगीरी से चलता था राजपाटपूर्व सरपंच गुमटी में फूल बेच कर परिवार चला रहा है. 1 गुम 1 में ज्ञानी सावप्रतिनिधि, डुमरीडुमरी प्रखंड के जैरागी गांव निवासी पूर्व सरपंच ज्ञानी साव (75 वर्ष) की उम्र ढल रही है. वे 1978 के चुनाव में जैरागी पंचायत से सरपंच बने थे. 30 साल पहले व अब के चुनाव पर प्रतिनिधि प्रेम प्रकाश ने उनसे बात की. श्री साव वर्तमान जनप्रतिनिधियों के कार्यों से काफी नाराज हैं. कहा कि पहले जनता के हित में काम होता था. अब वह बात नहीं रही. जो भी प्रतिनिधि चुने गये हैं. वे जनता की भलाई कम और अपनी भलाई ज्यादा कर रहे हैं. मेरे जमाने में गांधीगीरी से राजपाट चला. पर अब बिना पैसे के कोई काम नहीं होता है. अपने पावर का भी जनप्रतिनिधि गलत उपयोग करते हैं. कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए मुखिया, पंसस, प्रमुख व वार्ड सदस्य पैसा मांगते हैं. 1988 में भुखमरी से निबटा गया थाअपने कार्यकाल में घटित दो घटनाओं को याद करते हुए बताते हैं कि किस तरह 1988-89 में भुखमरी उत्पन्न हो गयी थी. उस समय राहत कार्य चलाया गया. तुरंत भुखमरी से निबटा गया. सीओ पीतांबर झा थे. उन्हें मैं पत्र लिख कर समस्या की जानकारी दी थी. अनाज की मांग की. एक गाड़ी अनाज उपलब्ध कराया गया. जिसे सभी लोगों के बीच बांटा गया था. उसी समय शिक्षक जेरोम बखला हत्याकांड को लेकर दो समुदाय आपस में भिड़ गये. तनाव से माहौल बिगड़ने लगा था. मामले को शांत करा कर विवाद को खत्म किया गया था. जैरागी मुखिया इमिल भगत, उदनी मुखिया सिलबानुस, अकासी मुखिया विक्टोर, जुरमू मुखिया सिलबानुस, रजावल चर्च के फादर और दोनों समुदाय के बुद्धिजीवी लोग बैठ कर मामला शांत कराये थे.पैसे का ठुकरा कर जनता की सेवा कीज्ञानी साव ने कहा कि उस जमाने में भी काफी पैसे थे. मैं चाहता तो लाखों रुपये कमा कर आज आराम की जिंदगी जीता. लेकिन जनता ने चुना था. इसलिए जनता के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया. आज मेरी स्थिति खराब है. गरीबी से गुजर रहे हैं. पत्नी वर्षो से दमा से पीड़ित है. बेटा बेरोगजार है. एक गुमटी के भरोसे परिवार की रोजी-रोटी चल रही है. गुमटी में फल-फूल बेच कर जीविका चला रहे हैं. आज भी मेरे पास लोग सलाह लेने आते हैं.

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