गुमला : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारीबाग में कहा है कि पूरे झारखंड में रेलवे लाइन का जाल बिछेगा. मोदी की बात कितनी सच होती है, यह गुमला के लोगों को इंतजार है. क्योंकि नक्सल व पिछड़ेपन से जूझ रहे आदिवासी बहुल गुमला में अभी तक रेल लाइन एक सपना बना हुआ है.
गुमला में अंगरेज जमाने से ही रेल लाइन बिछाने की मांग हो रही है. इसके लिए 1934 ई में सर्वे भी किया गया. गुमला के प्रबुद्ध राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि 1934 ई में टोरी-चंदवा से लेकर लोहरदगा, सेन्हा, घाघरा, गुमला, रायडीह, जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव, धर्मजयगढ़ से होते हुए कोरबा तक सर्वे हुआ था.
उस समय गुमला की आबादी कम थी. गुमला के बिशुनपुर व घाघरा प्रखंड व लोहरदगा में बॉक्साइट अधिक है. इस कारण रेलवे लाइन के लिए इन क्षेत्रों का चयन किया गया. इससे छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योग को भी लाभ मिलता. बताया कि सर्वे के समय गुमला के लोग खुश भी थी, परंतु सर्वे के बाद कोई काम नहीं हुआ. सिर्फ यहां के नेता अखबारों के माध्यम से बयानबाजी करते रहे कि दिल्ली में गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए प्रयास हो रहा है. परंतु कभी ऐसा नहीं हुआ. यूपीए के सरकार के समय सिर्फ सोनिया गांधी ने अपने अभिभाषण में गुमला को रेलवे लाइन से जोड़ने की बात रखी थी. इसके बाद से सिर्फ जुबानी ही बात होते रही.
रमेश कुमार चीनी ने कहा कि इस बजट सत्र से गुमला के लोगों को खासे उम्मीद है. अगर इस बार बजट सत्र में गुमला की तकलीफ पर ध्यान नहीं दिया गया, तो समङो कि गुमला राज्य व केंद्र सरकार की नजर में सिर्फ वोट बैंक का केंद्र है. प्रथम सर्वे में 16 स्टेशन चिह्न्ति किया गया था. इस क्षेत्र के सांसद सुदर्शन भगत केंद्र में मंत्री है. अगर उनकी पहल रंग लाती है तो लोगों का सपना पूरा हो सकता है. यहां बता दें कि 23 फरवरी से शुरू होने वाले बजट से गुमला के लोगों को काफी आशा है. जिले की सवा दस लाख आबादी की नजर केंद्र सरकार की बजट पर है.