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गोड्डा : 2016 की घटना से सबक नहीं ले रहा है राजमहल कोल परियोजना प्रबंधन, हादसे का कर रहा इंतजार

परियोजना क्षेत्र में प्राय: आउट सोर्सिंग कंपनी द्वारा ओबी की कटाई व कोयला निकालने का काम किया जा रहा है. सैकडों फीट गड्ढे खादान क्षेत्र में कोयला निकालने काम होता है. खादान क्षेत्र में लगातार कोयला निकालने के क्रम में ओबी को काटकर बगल में पहाड़ की तरह जमा किया जाता है.

गोड्डा : राजमहल कोल परियोजना ईसीएल के बंसडीहा खदान साइट में दो हाइवा के मिट्टी स्लाइडिंग के दौरान खायी में चली गयी. हालांकि इस घटना में किसी के जानमाल की क्षति नहीं हुई है. मगर इस घटना को लेकर क्षेत्र के लोगों में बड़ी तेज चर्चा हो रही है. दो दिनों पहले इसीएल की डीजीएमएस टीम ने पहुंचकर सुरक्षा मामलों की जांच के उपरांत पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया था. पदाधिकारी भ्रमण के ठीक तीसरे दिन एक बार फिर बड़ा हादसा होने से बच गया. इससे पहले वर्ष 2016 के हादसे की घटना से परियोजना सीख नहीं ले पायी है. 29 दिसंबर 2016 में राजमहल कोल परियोजना में मिट्टी स्लाइडिंग के दौरान एक साथ 23 मजदूरों की जान गयी थी. मिट्टी स्लाइडिंग के दौरान दर्जनों बड़ी-छोटी गाड़ियां व मशीन जमींदोज हो गया था. करीब एक माह तक लगातार परियोजना के साथ राज्य व केंद्र स्तर के पदाधिकारियों का दौरा व जांच की कार्रवाई होती रही. परियोजना के खदान क्षेत्र में मिट्टी के अंदर मलबे में दबे 23 में से केवल 18 मजदूरों की लाश ही कंपनी की ओर से निकाली जा सकी थी. महालक्ष्मी नामक आउट सोर्सिंग कंपनी के सभी मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि के रहने वाले थे. उस वक्त भी परियोजना के बड़े अधिकारी का सप्ताह भर पहले निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण के दौरान संतुष्ट होकर उच्च स्तरीय पदाधिकारी वापस गये थे. उनके जाने के ठीक सप्ताह भर बाद बड़ा हादसा हुआ था.


साल में पांच से छह बार जांच के नाम पर केवल होती है खानापूर्ति

परियोजना क्षेत्र में प्राय: आउट सोर्सिंग कंपनी द्वारा ओबी की कटाई व कोयला निकालने का काम किया जा रहा है. सैकडों फीट गड्ढे खादान क्षेत्र में कोयला निकालने काम होता है. खादान क्षेत्र में लगातार कोयला निकालने के क्रम में ओबी को काटकर बगल में पहाड़ की तरह जमा किया जाता है. इस स्थिति में पहाड़ की ऊंचाई में मिट्टी की डंपिंग ही ऐसे मिट्टी धंसान का कारण बनता है. सुरक्षा मानकों में शामिल ऐसे कई अन्य तकनीक को भी इसीएल की ओर से नजरअंदाज किये जाने की वजह से ऐसे हालात बन जाते हैं. डीजीएमएस की टीम के साथ परियोजना के बड़े पदाधिकारी साल में पांच से छह बार परियोजना का चक्कर लगाकर केवल सुरक्षा को ध्यान में रखकर काम कराने की नसीहत देकर जाते हैं. लगातार मिट्टी की कटाई के बाद मिट्टी भरे स्थान पर ही तुरंत वाहनों के परिचालन का कार्य से मिट्टी पर दबाव बन जाता है.

दुर्घटना से भी सबक ले प्रबंधन : मजदूर नेता

एटक यूनियन के एरिया सचिव सह पूर्व जिला परिषद सदस्य रामजी साह ने कहा कि परियोजना के खनन क्षेत्र में 2016 वर्ष में मिट्टी स्लाइड होने से बड़ी दुर्घटना हुई थी. प्रबंधन को उस दुर्घटना से भी सबक लेनी चाहिए था. प्रबंधन को मिट्टी कटाई का कार्य सुरक्षा को ध्यान में रखकर करना चाहिए. बताया कि मंगलवार की घटना में हताहत नहीं होने से परियोजना के पदाधिकारियों पर बड़ा संकट आने से पहले टल गया है.

गोड्डा के राजमहल खनन परियोजना के खनन मैनेजर सतीश मुरारी ने कहा कि सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखा जाता है. इसके बावजूद कभी-कभी छोटी घटना हो जाती है. मिट्टी की कटाई बैच सिस्टम से करने की वजह से बड़ा हादसा होने से बच गया.

Also Read: राजमहल कोल परियोजना में खनन कर रही कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन जारी, शुरू नहीं हुई कोयले की ढुलाई

Prabhat Khabar News Desk
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