पेयजल संकट . कन्हवारा गांव में एक दर्जन से ऊपर चापाकल खराब
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तीन हजार आबादी को शुद्ध पानी नहीं
पेयजल संकट . कन्हवारा गांव में एक दर्जन से ऊपर चापाकल खराब पंचायत भवन में लगा चापाकल भी खराब है. सुबह होते ही महिलाएं पानी की जुगाड़ में जुट जाती है. पानी के लिए दिनभर मशक्कत करनी पड़ती है. पानी पंचायत की पहल का भी असर देखने को नहीं मिल पा रहा है. गोड्डा : […]
पंचायत भवन में लगा चापाकल भी खराब है. सुबह होते ही महिलाएं पानी की जुगाड़ में जुट जाती है. पानी के लिए दिनभर मशक्कत करनी पड़ती है. पानी पंचायत की पहल का भी असर देखने को नहीं मिल पा रहा है.
गोड्डा : जिला मुख्यालय से सटे कन्हवारा गांव में पानी पंचायत के आयोजन का असर दिखायी नहीं दे रहा है. गांव में एक दर्जन से ऊपर चापाकल खराब है. खराब चापानलों को ठीक कराये जाने के लिये कोई पहल नहीं हो पायी है. गांव की तीन हजार आबादी पेयजल की समस्या से जूझ रही है. काफी मशक्कत के बाद लोग जरूरी काम के लिए पानी की व्यवस्था कर पाते हैं. खुद पंचायत भवन परिसर में लगे चापाकल ने भी खराब है. गांव के लोगों ने भी कई बार जिला पेयजल विभाग को मरम्मत कराये जाने की मांग की. पर इस ओर अब तक विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गयी है. इसका नतीजा यह है कि
आये दिन लोगों को पीने के पानी से महरूम होना पड़ रहा है. मुखिया खराब चापाकल की मरम्मत कार्य निजी स्तर से कराये थे. विभाग को लिखित शिकायत दिये जाने के बाद भी मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि अब गरमी आने के बाद भी देखने वाला कोई नहीं है. मरम्मत नहीं होने से ग्रामीणों में अाक्रोश गहराता जा रहा है.
क्या कहते हैं मुखिया : मुखिया परमानंद साह ने बताया कि पानी पंचायत चलाये जाने के बाद भी इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है. पीने का साफ पानी भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है. वहीं पंचायत समिति सदस्य अशोक मांझी ने भी बताया कि गांव के अधिकांश चापाकल सूख चुके है. हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत किये जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है. इसको देखने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों में समस्या को लेकर आक्रोश गहराते जा रहा है.
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