नोटबंदी. ग्रामीण क्षेत्रों में एक माह बाद भी नहीं हो रही स्थिति सामान्य
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37 दिन में तीन महिला व बच्ची की गयी जान
नोटबंदी. ग्रामीण क्षेत्रों में एक माह बाद भी नहीं हो रही स्थिति सामान्य 50 दिन में स्थिति सामान्य होने के केंद्र के दावे के इतर जिले में स्थिति सामान्य नहीं हो रही है. एक तरफ बाहर से मजदूर काम नहीं मिलने के कारण घर वापस लौट रहे हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों के बैंकों में नकदी […]
50 दिन में स्थिति सामान्य होने के केंद्र के दावे के इतर जिले में स्थिति सामान्य नहीं हो रही है. एक तरफ बाहर से मजदूर काम नहीं मिलने के कारण घर वापस लौट रहे हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों के बैंकों में नकदी संकट के कारण लोग जरूरत के हिसाब से रुपये नहीं निकाल पा रहे हैं.
गोड्डा : नोटबंदी के 37 दिन बाद भी जिले की स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों में इसका साइड इफेक्ट स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. इलाज के लिए रुपये नहीं रहने से एक बच्ची व बैंक कतार में खड़ी तीन महिला जान गंवा चुकी है. जिला मुख्यालय में तो लोग एसबीआइ आदि बैंकों से राशि निकाल कर काम चला लेते हैं. पर ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब व मजदूर किस्म के लोग मजदूरी नहीं मिलने के कारण नोट के लिए ही तरस रहे हैं.
कंस्ट्रक्शन का काम नहीं होने के कारण दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. मनरेगा योजना के तहत भी काम शुरू नहीं होने के कारण मजदूरों के समक्ष दो जून की रोटी की समस्या खड़ी हो गयी. एक तरफ सरकार के काले धन पर नकेल कसने के लिए नोटबंदी कर आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की सोची और इस सोच के परिणाम में ऐसे भी कई लोग है जो पैसे की खातिर और पैसे के अभाव में अपनी जान गवां बैठे है. जिले में एक महीना सात दिनों करीब तीन लोगों की जान गयी है.
गाजियाबाद व दिल्ली से निराश होकर लौटे मजदूर : बसंतराय. प्रखंड के मांजर खुर्द गांव के हरिजन टोला के करीब सात मजदूरों को दिल्ली व गाजिया बाद से वापस घर लौटना पड़ा है. करीब छह माह से दिहाड़ी मजदूरी कर रहे गांव के लोगों को कपड़े का जिप व चेन बनाने वाली टोनी नामक कंपनी में रह कर काम कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे. मगर माल खपत नहीं होने व रुपये की कमी के कारण सेठ ने मजदूरी देने से इनकार कर दिया. मजदूरों में अशोक रविदास, उत्तम रविदास, गुणसागर रविदास, नारायण रविदास, हलखोरी रविदास, रंजीत रविदास, विनोद कुमार दास शामिल है.
नहीं मिल रहा है मनरेगा में काम, पेट भरना आफत : काम से वापस लौटे मजदूर अशोक रविदास का कहना है कि गांव आने पर यहां की स्थिति कम खराब नहीं है. ठंडी के बीच नोटबंदी दोनों मार पड़ रही है. खेतीबारी तो है नहीं. मजदूरी मिल नहीं रहा है.
गाजियाबाद में सेठ द्वारा मजदूरी नहीं देने पाने में असमर्थ होने पर घर लौटे बसंतराय के मजदूर.फोटो। प्रभात खबर
केस स्टडी-एक
बसंतराय प्रखंड महेशपुर स्थित वरनगांव की 51 वर्षीया महिला माधुरी देवी की मौत बैंक के कतार में हो गयी थी. बीमार पति के इलाज के लिए महेशपुर के बैंक के लाइन में खड़ी थी. पति भैरो सिंह के लाइन में तीसरे दिन लगे होने के दौरान अचानक बीमार पत्नी की मौत की खबर सुनते ही वह वापस लौटा था. हालांकि ग्रामीणों की मदद से अंतिम संस्कार कर दिया गया.
केस स्टडी दो
नोटबंदी के दसवें दिन सदर प्रखंड के बंकाघाट के हेमलाल टोला निवासी विजय मिर्धा की तीन वर्षीय पुत्री पूजा कुमारी की मौत पैसे के अभाव में हो गयी थी. बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर उसके पिता के पास मात्र चार सौ रुपये थे. जरूरत के वक्त बैंक भी काम नहीं आया. रुपये की दिक्कत है.
केस स्टडी तीन
महागामा के दिग्घी स्टेट बैंक के सामने नोटबंदी के 37वें दिन पेंशन निकालने गयी 70 वर्षीया मोसमात रसीदा लाइन में खड़ी थी. बेहोशी के बाद मौत हो गयी. वहीं लाइन में खड़े दो अन्य में एक पारा शिक्षक मो खलील तथा नीलम देवी नामक महिला लाइन को झेल नहीं पायी और बेहोश हो गयी. हालांकि बाद में लोगों के द्वारा उपचार के बाद वह ठीक हो पाये.
छिनतई व लूट की घटनाओं के पीछे भी नोटबंदी के असर की आशंका
गोड्डा में करीब बारह दिनों से बढ़ी लूट व छिनतइ की घटना के पीछे भी नोटबंदी का ही लाेग कयास लगा रहे हैं. सभी वारदातें ग्रामीण इलाकों में हो रही है. जरुरत के हिसाब से रुपये नहीं मिलने के कारण अपराध का ग्राफ बढ़ गया है. दर्जनाें हाइवा व स्कार्पियो लूट की घटना को अज्ञात अपराधियों द्वारा तीन दिसंबर को अंजाम दिया गया. उसके ठीक दूसरे दिन चार दिसंबर को मानिकपुर मेहरमा में आधे दर्जन अपराधियों ने हथियार का भय दिखा कर हाइवा तथा ट्रक व बोलेरो पर बैठे यात्रियों को लूट का निशाना बनाया. वहीं ठाकुरगंगटी थाना के एक सेवानिवृत शिक्षक के घर अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया था. पांच दिसंबर को महागामा में ग्राहक सेवा केंद्र में घूस कर पंद्रह बीस हजार रूपये की चोरी की घटना को अंजाम देने के बाद अपराधियों के हौसले और भी बुलंद हो गये. दस दिसंबर को सुंदरपहाड़ी थाना क्षेत्र के रेफरल अस्पताल के पास अलबेला नामक रात्रि बस के यात्री के साथ मारपीट,11 दिसंबर को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के घूरनी पाथर गांव के पास गिन्नी व्यवसायी से भी अपराधियों ने लूटपाट कर पुलिस को चुनौती देने का काम किया है.
सरकार कब तक लेगी लोगों की शहादत: दीपिका
कांग्रेस की जिला अध्यक्ष दीपिका पांडेय सिंह ने महगामा के दिग्घी गांव में नोटबंदी के कारण पेंशनभोगी महिला मोसमात रसीदा खातुन की मौत पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते कहा कि केद्र सरकार नोटबंदी व कालाधन के नाम पर कब तक गरीब मजदूरों की शहादत पर कब तक पीठ थपथपायेगी. हर दिन गरीबों की मौत से सरकार के गरीब विरोधी चेहरे को जनता के बीच ला दिया है. अच्छे दिन की आस में लोगों ने मोदी सरकार को चुना था. अब बुरे दिन देखने को मिल रहे हैं.
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