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लक्ष्य से कोसों दूर डोभा का निर्माण

उदासीनता. बीच में दम टूट गया मनरेगा के तहत बनने वाला डोभा का 15 जून तक पूरा होना था डोभा निर्माण का कार्य भूमि संरक्षण से बनने वाले डोभा निर्माण ने बढ़ायी मुसीबत गोड्डा : सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना डोभा निर्माण शुरुआती दौर में ही दम तोड़ते नजर आ रहा था. यह हाल मनरेगा […]

उदासीनता. बीच में दम टूट गया मनरेगा के तहत बनने वाला डोभा का

15 जून तक पूरा होना था डोभा निर्माण का कार्य
भूमि संरक्षण से बनने वाले डोभा निर्माण ने बढ़ायी मुसीबत
गोड्डा : सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना डोभा निर्माण शुरुआती दौर में ही दम तोड़ते नजर आ रहा था. यह हाल मनरेगा के तहत बनने वाले डोभा निर्माण का है. मनरेगा के तहत बनने वाले डोभा निर्माण का लक्ष्य अधर में लटक गया है. इस योजना को 15 जून तक पूरा किया जाना था. लेकिन अभी तक आधे लक्ष्य को भी जिला प्रशासन पूरा नहीं कर पाया है. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जहां युद्ध स्तर पर जिले के विभिन्न प्रखंडों में बनने वाले बड़ी संख्या में डोभा निर्माण योजना को प्राथमिकता दी गयी तथा पंचायत स्तर पर टास्क के रूप में इस योजना को पूरा करने का निर्देश दिया गया है.
इस प्रकार से यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाया. योजना को आनन-फानन में स्वीकृत करने का काम तो किया गया. लेकिन लक्ष्य के अनुरूप काम भी सभी प्रखंड में नहीं हो पाया. क्रियान्वित करना तो दूर की कौड़ी है. इसका कारण मनरेगा के तहत डोभा निर्माण किया जाना है. आनन-फानन में योजनाओं को ले तो लिया गया है लेकिन पूरा करने में पंचायत कर्मियों की सांसे फूल रही है. डोभा निर्माण का लक्ष्य पूरा किये जाने के लिए वरीय पदाधिकारियों का दबाव रहने के बावजूद भी आधा लक्ष्य भी विभाग पुरा नहीं कर पाया है. जबकि उक्त तिथि को लक्ष्य पूरा कर लिया जाना था. इस दबाव का दंश पंचायत स्तर के कर्मी पंचायत सेवक व जनसेवकों को भोगना पड़ रहा है.
निर्माण में कहां है परेशानी
मालूम हो कि इसके पूर्व पूरे जिले में भूमि संरक्षण विभाग की ओर से 2500 डोभा का निर्माण का लक्ष्य है. इसके तहत डोभा की खुदाई मशीन से की जानी है. यह पहले पूरा हो गया है. साथ ही सुविधा के तौर पर डोभा की खुदाई के पूर्व 40 प्रतिशत राशि लाभुकों को दी जा चुकी है. इसमे काम भी तेजी से हो रहा है. इसको लेकर लाभुकों ने दिलचस्पी दिखाते हुए काम को पूरा करने की जोर से कवायद की है. लेकिन जैसे ही मनरेगा के तहत डोभा खुदाई का सवाल आया तो सभी के हाथ पैर फूलने लगे. इसका कारण स्वयं मनरेगा है. मनरेगा में देरी से मजदूरी पेमेंट
, एफटीओ, मिट्टी कटाव से मजदूरी की समस्या को लेकर न तो लाभुकों ने और नहीं मेठो ने इस योजना को लेकर कोई दिलचस्पी दिखायी है. पदाधिकारियों के दबाव के कारण यह डोभा निर्माण की योजना 8200 के तकरीबन स्वीकृत कर तो ली गयी है. लेकिन आधा लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सका है और फिलहाल जिला प्रशासन के लिए यह लक्ष्य दूर की कौड़ी है. कहने को तो जिला प्रशासन द्वारा पंचायत के प्रत्येक रिवेन्यू गांव में तकरीबन पांच-पांच डोभा निर्माण का लक्ष्य लिया है. लेकिन वास्तव में एक रिवेन्यू विलेज में सही ढंग से एक भी डोभा का निर्माण पूरा हो जाये तो यह अपने में बड़ी बात है.

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