शहर के प्रसिद्ध मौलाना ने रोजेदारों को दी कई नसीहतें
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अमन व शांति का पैगाम देता है रमजान : नेजाम
शहर के प्रसिद्ध मौलाना ने रोजेदारों को दी कई नसीहतें कहा रोजेदारों को भला-बुरा समझने की मिलती है सलाहियत गोड्डा : शहर के प्रसिद्ध मौलाना नेजाम अशरफी ने कहा कि माह-ए-रमजान बरकत का महीना है. इस माह में जन्नत का दरवाजा खुला रहता है और जहन्नम का दरवाजा बंद कर दिया जाता है. रोजेदारों द्वारा […]
कहा रोजेदारों को भला-बुरा समझने की मिलती है सलाहियत
गोड्डा : शहर के प्रसिद्ध मौलाना नेजाम अशरफी ने कहा कि माह-ए-रमजान बरकत का महीना है. इस माह में जन्नत का दरवाजा खुला रहता है और जहन्नम का दरवाजा बंद कर दिया जाता है. रोजेदारों द्वारा इबादत कर समाज में अमन व शांति की दुआएं मांगी जाती है. रसुल सल्लाहो अलैह व सल्लम के उमती के लिए रमजान बनाया गया है. रमजान में रोजा रखने से मात्र ही सारे तकलीफ दूर हो जाती है. इस माह की बरकत इतनी है कि रमजान माह में खर्च करने का कोई हिसाब नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की कहानी भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के गिर्द घूमती है और रोजा इन तीनों चीजों पर नियंत्रण रखने की साधना है. रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख-दर्द और भूख-प्यास को समझने का महीना है ताकि रोजेदारों में भले-बुरे को समझने की सलाहियत पैदा हो.
मुसलिम भाइयों को रमजान सब्र करना सिखाता है. बगैर मगरीब के अजां हुए बिना मुसलमान एक दाना जुंबा पर नहीं रखता है. रमजान माह के मुबारक मौके पर मुसलमानों को दिल खोल कर फितरा व जकात अदा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पाक माह में रोजे के दौरान झूठ बोलने, चुगली करने, किसी पर बुरी निगाह डालने, किसी की निंदा करने और हर छोटी से छोटी बुराई से दूर रहना चाहिए.
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