देश को आजाद हुए करीब 70 वर्ष हो गये. कई मायनों में हमने काफी तरक्की की, लेकिन आज भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जो विकास से कोसों दूर हैं. कई गांवों में तो यह स्थिति है कि वहां पक्की सड़क तक नहीं है, साथ ही गांव से बाहर निकलने के लिये कोई स्थायी और पक्का रास्ता भी नहीं है. लोग तालाब के मेढ़ या पगडंडी के जरिये आवागमन करते हैं. ऐसा ही एक गांव है राजधनवार प्रखंड स्थित हुंडराटांड़. प्रभात खबर ने गुरुवार को इस गांव का हाल जाना.
राजधनवार : धनवार का हुंडराटांड़ गांव जरीसिंगा और आदर्श सांसद ग्राम गादी की सीमा पर है. इस गांव की आबादी दोनों पंचायत में बंटी हुई है. गांव की आबादी लगभग पांच सौ है, लेकिन आज भी गांव से बाहर आने-जाने के लिये कोई पक्का रास्ता नहीं है. लोग तालाब के मेढ़ से होकर जरीसिंगा पक्की सड़क तक पहुंचते हैं, लेकिन बारिश में इस रास्ते से होकर चलना दूभर हो जाता है.
ऐसे में यदि कोई बीमार पड़ जाता है तो मरीज को खाट पर टांग कर जरीसिंगा तक लाना पड़ता है, फिर वहां से पक्की सड़क होकर वाहन से अन्यत्र भेजा जाता है. हालांकि पिछले वर्ष विधायक मद से गांव के अंदर कच्ची सड़क में मिट्टी मोरम का काम हुआ है. गादी मुखिया ने भी गांव में कुछ दूर पीसीसी पथ बनवाया है, लेकिन आज तक गांव से निकासी मार्ग के निर्माण अथवा मरम्मत कराने के कोई पहल नहीं हुई है.
गांव में नौ सरकारी चापाकल हैं, जिसमें तीन महीनों से खराब पड़े हैं. गांव में पर्याप्त आबादी के बावजूद आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है और ग्रामीणों के अनुसार आज तक गांव के किसी गरीब को इंदिरा आवास भी नहीं मिला है. साजिया खातून, रिजवान, संतोष उपाध्याय, उदय उपाध्याय, गुलाम, आसिन आदि कई दिव्यांगों ने बताया कि उन्हें पेंशन भी नहीं मिल रही है.