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चार को आजीवन कारावास

जमुआ थाना अंतर्गत करमाटांड़ गांव में वर्ष 1999 में जमीन विवाद को लेकर हुई हत्या में फैसला सोमवार को आया. चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली है. गिरिडीह : गिरिडीह की एक अदालत ने जमीन विवाद में हुई हत्या मामले में चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. मामले में चारों […]

जमुआ थाना अंतर्गत करमाटांड़ गांव में वर्ष 1999 में जमीन विवाद को लेकर हुई हत्या में फैसला सोमवार को आया. चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली है.
गिरिडीह : गिरिडीह की एक अदालत ने जमीन विवाद में हुई हत्या मामले में चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. मामले में चारों को दस-दस हजार रुपये का भी जुर्माना लगाया. जुर्माना की रकम नहीं देने पर एक-एक वर्ष की सजा भी काटनी होगी. इसके अलावा अदालत ने भादवि की धारा 201/34 में दोषी पाते हुए चारों को दो-दो वर्ष की सजा व पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. मामला जमुआ थाना अंतर्गत करमाटांड़ गांव का है.
12 मार्च 1999 को सुनील गोप की हत्या हुई थी. सूचक गिरिडीह मुफस्सिल थाना अंतर्गत रानीडीह निवासी राजेंद्र गोप (पिता स्व. जानकी गोप) के आवेदन पर जमुआ थाना में कांड संख्या 29/99 के तहत मामला दर्ज किया गया था. राजेंद्र गोप का कहना है कि उसका भाई सुनील गोप अपनी बहन की ससुराल करमाटांड़ में रहता था. उसके बहनोई महादेव गोप धनबाद के सुदामडीह में रहते हैं. घर में उसकी बहन अकेले रहती थी.
इसी कारण सुनील भी अपनी बहन के साथ रहता था. बहन के गोतिया विसपत महतो को जमीन के लिए एक हजार रुपये का एडवांस दिया था. विसपत महतो ने जिस जमीन को देने की बात कही थी वह नहीं दे रहा था. उस जमीन के बदले वह दूसरी जमीन देने को तैयार था. जब उसकी बहन पैसा मांगने गयी तो विपक्षी मारपीट करने लगे. अपनी बहन का पक्ष लेने पर विपक्षी ने सुनील को देख लेने की बात कही थी. 11.03.1999 को गोतिया मथुरा महतो उसके भाई को रानीडीह से बुला कर करमाटांड़ ले गया. इसके एक दिन बाद उसके भाई की लाश करमाटांड़ गांव में डेगन महतो के खेत में मिली.
उसके भाई के चेहरे पर चोट के निशान थे और दबाने से गला फूला हुआ था. उसने दावा किया कि पुरानी रंजिश को लेकर विस्पत महतो के पुत्र लालू महतो, सुगन महतो, मांगू महतो व रिश्तेदार मथुरा महतो ने उसके भाई की हत्या कर दी. सत्रवाद संख्या 135/02 में अदालत ने चारों को भादवि की धारा 302 व 201/34 के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनायी है. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी सच्चिदानंद प्रसाद सिन्हा व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रकाश सहाय ने बहस की.

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