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बगोदर : 1966 के बाद पहली बार सूखी खेड़ो नदी
बगोदर : 1966 के बाद पहली बार बगोदर के चर्चित खेड़ो नदी सूख चुकी है़ नदी में बालू व बड़े-बड़े पत्थर दिख रहे है़ं नदी के आसपास मवेशी पानी की तलाश में भटक रहे है़ एक ओर प्रखंड की 22 पंचायतों में पानी के लिए आम नागरिक बेहद परेशान है़ दूसरी ओर कड़ाके की गरमी […]
बगोदर : 1966 के बाद पहली बार बगोदर के चर्चित खेड़ो नदी सूख चुकी है़ नदी में बालू व बड़े-बड़े पत्थर दिख रहे है़ं नदी के आसपास मवेशी पानी की तलाश में भटक रहे है़ एक ओर प्रखंड की 22 पंचायतों में पानी के लिए आम नागरिक बेहद परेशान है़
दूसरी ओर कड़ाके की गरमी से लोग सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक घरों में दुबके रहते है़ विभागीय आकड़ों के अनुसार तो बगोदर प्रखंड में 1312 चापाकल लगाये गये है़ इनमें एसआर की गड़बड़ी से 149, व पाइप सड़े होने के कारण 226 साथ ही 375 चापाकल बंद पड़े है़
बगोदर प्रखंड के बीपीओ राज मोहन वर्मा ने बताया कि 2015-16 वित्तीय वर्ष में बगोदर-सरिया प्रखंड में 1466 तालाब, 169 कुआं का कार्य चल रहा है़ फिर भी बगोदर प्रखंड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पानी-पानी के लिए लोग परेशान है़ साथ ही प्रखंड के अधिकांश कुआं सूखने के कगार पर है़ यहां तक कि चापाकल की स्थिति भी बेहतर नहीं है़ इस पर विभागीय अधिकारी ईमानदारी पूर्वक कार्य नहीं कर रहे है़
उपभोक्ताओं के लिए पानी खरीदना मजबूरी : बगोदर बाजार के लोगों के लिए पानी का एक मात्र विकल्प जरमुन्नै जलापूर्ति योजना भी कार्य नहीं कर पा रही है़ जरमुन्नै जलापूर्ति योजना के तहत प्रतिदिन पानी मिलेगा़
अगर किसी दिन लोगों को जरमुन्नै जलापूर्ति योजना के तहत पानी की सप्लाई नहीं हुई तो बगोदर बाजार, सरिया रोड, नीचे बाजार समेत अन्य कई इससे जुड़े उपभोक्ताओं के घरों में पीने के पानी की समस्या खड़ी हो जाती है़ विडंबना यह है कि अबतक विभाग ने इस योजना के तहत दिन भर में मात्र एक बार ही पानी दिया जाता है़ फलत: कई घरों में पानी भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाता है़ इसका लाभ पानी बेचने वालों को होता है़ उपभोक्ताओं के लिए पानी खरीदना एक मजबूरी है़
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