– प्रमोद अंबष्ट –
गिरिडीह : मैट्रिक की परीक्षा देने के दौरान ही शौकिया तौर पर ट्यूशन पढ़ाते–पढ़ाते शिक्षा के क्षेत्र को कैरियर के रूप में चुना. साथ ही परिवार द्वारा पढ़ाई को लेकर प्रेरित नहीं किये जाने के बाद भी घर से निकल कर उच्च शिक्षा ग्रहण की और एक मुकाम हासिल की.
हम बात कर रहे हैं राज्य संपोषित सेठ गोवर्धन दास नथमल फांगेड़िया बालिका उवि पचंबा की प्रभारी प्रधानाध्यापिका शमा परवीन के बारे में. वह कहती हैं कि बचपन से ही पठन–पाठन में गहरी रुचि थी. इसी कारण 10वीं की पढ़ाई के दौरान ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया.
वर्ष 1993 में सर जेसी बोस बालिका उच्च विद्यालय गिरिडीह से मैट्रिक, 1995 में आरके महिला कॉलेज गिरिडीह से आइए, वर्ष 1998 में इसी कॉलेज से बीए अंगरेजी ऑनर्स किया. वहीं वर्ष 2002 में विनोबा भावे विश्वविद्यालय से एमए अंगरेजी से किया. साथ ही वर्ष 2006 में गिरिडीह कॉलेज गिरिडीह से बीएड किया.
01.10.2012 से पचंबा बालिका उच्च विद्यालय में बतौर प्रभारी प्रधानाध्यापिका कार्यरत शमा परवीन कहती हैं कि मेरे परिवार में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष जोर नहीं दिया जाता था. बावजूद मैंने उच्च शिक्षा ग्रहण की और शिक्षा के क्षेत्र को चुना. बरवाडीह निवासी शमा परवीन कहती है कि मुझे ऐसा लगा कि शिक्षा से ही समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है.
वर्ष 1998 में कोचिंग शुरू किया. कोचिंग में कई निर्धन परिवार की लड़कियां पढ़ने आती थीं. कुछ को मैंने नि:शुल्क शिक्षा देना शुरू किया और कुछ से न्यूनतम शुल्क लेकर पढ़ाना शुरू किया. वे कहती हैं कि बच्चों को पढ़ाने में काफी खुशी मिलती है.