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शौचालय में लटका ताला तो यूरिनल में नहीं है दरवाजा

गिरिडीह : सदर अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के लिए बनाये गये शौचालयों का हाल बुरा है. यहां गंदगी ताे पसरी ही रहती है, साथ ही किसी में ताला जड़ा रहता है तो यूरिनल में दरवाजा ही नहीं है. साफ-सफाई के लिए 20 कर्मी तैनात हों तो ऐसी व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है. […]

गिरिडीह : सदर अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के लिए बनाये गये शौचालयों का हाल बुरा है. यहां गंदगी ताे पसरी ही रहती है, साथ ही किसी में ताला जड़ा रहता है तो यूरिनल में दरवाजा ही नहीं है. साफ-सफाई के लिए 20 कर्मी तैनात हों तो ऐसी व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है. जानकारी के अनुसार रांची की शिवा प्रोटेक्शन फोर्स लिमिटेड नाम की कंपनी को यह जिम्मेदारी दी गयी है. आउटसोर्सिंग कंपनी के 20 कर्मी सदर अस्पताल में तीन शिफ्ट में सफाई करते हैं.

अस्पताल प्रबंधक प्रवीर मुर्मू की मानें तो सुबह आठ से दिन के दो, दो से शाम छह तथा शाम छह से नाइट शिफट में सुबह तक की पाली है, लेकिन सदर अस्पताल स्थित शौचालयों की स्थिति देख लगता नहीं कि यहां तीन पालियों में सफाई का काम होता होगा. सुबह की पाली में सफाई पर जोर रहता है. बाकी पालियों में इस कारण भी दबाव नहीं बनाया जाता कि आउटसोर्सिंग कंपनी ने गत छह माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है.
7.47 लाख के शौचालय पड़े है बेकार: यक्ष्मा केंद्र के पास मुख्यमंत्री विकास योजना के तहत 2016-17 में सार्वजनिक शौचालय के साथ स्नान गृह का भी निर्माण कराया गया. पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी के कार्यकाल में विधायक मद से सदर अस्पताल परिसर में तीन शौचालय और एक स्नान गृह का निर्माण कराया गया.
कार्य एजेंसी एनआरइपी की देखरेख में निर्मित इस शौचालय के पास बोरिंग भी करायी गयी. निर्माण कार्य के बावजूद अब तक इसका उद‍्घाटन नहीं किया गया है. सदर अस्पताल परिसर में दर्जनाधिक शौचालय के बावजूद उक्त शौचालय और स्नान गृह का निर्माण क्यों कराया गया यह बताने वाला कोई नहीं है.

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