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कम बारिश से धनरोपनी पर असर
जिले में 1 लाख 44 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि गिरिडीह : मानसून की दगाबाजी से किसानों के चेहरे मुरझा रहे हैं. सावन माह के तीन दिन बीतने के बाद भी पर्याप्त बारिश नहीं होने से खेत परती पड़े हैं. खेतों में अब तक पानी नहीं लग पाया है. ऐसे में जिले के किसी भी प्रखंड […]
जिले में 1 लाख 44 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि
गिरिडीह : मानसून की दगाबाजी से किसानों के चेहरे मुरझा रहे हैं. सावन माह के तीन दिन बीतने के बाद भी पर्याप्त बारिश नहीं होने से खेत परती पड़े हैं. खेतों में अब तक पानी नहीं लग पाया है. ऐसे में जिले के किसी भी प्रखंड में अबतक धनरोपनी शुरू नहीं हो पायी है. कुछ प्रखंडों में धान के बिचड़े अब भी बढ़ नहीं पाए हैं. वहीं जहां बिचड़ा तैयार हो गया है वहां खेतों में पानी की कमी से धनरोपनी नहीं हो पा रही है. जिले सभी 13 प्रखंडों में किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं. तत्काल पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो खेती नहीं हो सकेगी.
सावन में धनरोपा का विशेष महत्व : किसानों का कहना है कि सावन माह में धनरोपा का विशेष महत्व है. इस माह में धनरोपनी हो जाने से फसल को पर्याप्त समय मिल पाता है. साथ ही फसल में कीड़ा लगने की संभावना कम होती है. फसल को पानी भी समय पर मिल जाता है. धान की खेती के लिए यह उपयुक्त समय माना जाता है.
गिरिडीह में बारिश की स्थिति खराब
जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश्वर दूबे कहते हैं कि जिले के गिरिडीह, बेंगाबाद, गांडेय, जमुआ, देवरी, तिसरी, गावां, राजधनवार, बिरनी, सरिया, बगोदर, डुमरी और पीरटांड़ प्रखंड में कुल कृषि योग्य भूमि 1 लाख 44 हजार हेक्टेयर है. इसमें से 86 हजार हेक्टेयर भूमि पर केवल धान की खेती की जाती है. गिरिडीह में बारिश की स्थिति ठीक नहीं है. पिछले वर्ष जितनी बारिश हुई थी अब तक उससे आधी भी नहीं हुई है. उस हिसाब से किसानों को परेशानी है. अभी बिचड़ा सही सलामत है. हालांकि अभी 15 अगस्त तक का समय है. जब तक अच्छी बारिश नहीं हो जाती धनरोपनी शुरू नहीं हो सकेगी. संकट से निजात पाने के लिए किसानों को फसल बीमा कराना चाहिए.
15 जुलाई से 15 अगस्त तक है खेती का समय
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धान की खेती के लिए 15 जुलाई से 15 अगस्त का समय बेहतर होता है. इस एक माह में धनरोपनी हो जाने पर पैदावार अच्छी होने की संभावना रहती है. इस बार सावन पहले प्रवेश कर गया है. इसलिए लग रहा है कि खेती में देर हो रही है. किसानों के पास अभी पर्याप्त समय है. किसान अपने खेत तैयार कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें उपयुक्त समय मिल रहा है.
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