पीरटांड़ मुठभेड़ पर हेमंत ने उठाये सवाल, कहा
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने पिछले नौ जून को मधुबन थाना के ढोलकट्टा में पुलिस और नक्सली मुठभेड़ को लेकर सवाल उठाया है. श्री सोरेन ने आरोप लगाया है कि सीआरपीएफ ने एक दुकान चलाने वाले गरीब आदिवासी की नक्सली बता कर हत्या कर दी है. वह निर्दोष था और उसका माओवाद से कुछ लेना-देना नहीं था. नौजवान आदिवासी युवक पारसनाथ में डोली उठाने का काम करता था और पहाड़ी पर मजदूरों के लिए भात-दाल की छोटी सी दुकान भी चलाता था. मोती लाल बास्के नाम से वह युवक मजदूर के रूप में पारसनाथ मेें निबंधित भी है. श्री सोरेन गुरुवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे.
रांची पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्रकार वार्ता में कथित मुठभेड़ में मारे गये मोती लाल बास्के की पत्नी पार्वती मुरमू, तीन बच्चे और परिजन भी पहुंचे थे. श्री सोरेन ने कहा कि झामुमो इस घटना पर चुप नहीं बैठने वाला है. जंगलों में रहनेवाले निरीह और असहाय गरीब आदिवासियों की सरकार हत्या करा रही है.
पुलिस ऑपरेशन के नाम पर जंगलों में रहने वाले आदिवासी परिवारों की महिलाओं के साथ भी बर्बरता की जा रही है. सरकार आंख बंद किये हुए है. प्रतिपक्ष के नेता श्री सोरेन ने इस मामले में सरकार को 48 घंटे के अंदर फैसला सुनाने को कहा है. उन्होंने ने पूरे मामले की न्यायिक या सीबीआइ जांच कराने के साथ पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये बतौर मुआवजे की मांग की है. श्री सोरेन ने कहा कि इस मामले में सरकार ने अपना रुख साफ नहीं किया, तो 17 जून को पीरटांड प्रखंड बंद किया जायेगा. इसके बाद गिरिडीह जिला बंद करेंगे. मामला सड़क से सदन तक उठाया जायेगा. प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए मोती लाल बास्के के तीन छोटे-छोटे बच्चे का क्या होगा? देखें
एक सवाल के जवाब में श्री सोरेन ने कहा कि डीजीपी ने इस तरह से नक्सली अभियान चलाया, तो उनके लिए तकलीफदेह समय आ गया है. आदिवासी, दबे-कुचले लोगों की इस तरह की हत्या बरदाश्त नहीं की जायेगी. मौके पर पार्टी महासचिव विनोद पांडेय भी मौजूद थे. उल्लेखनीय है कि मोती लाल बास्के पीरटांड के धोलकट्टा गांव का रहने वाला था.
मेरे बच्चे का क्या होगा, कैसे खायेंगे-रहेंगे बतायें : पार्वती मुरमू
संवाददाता सम्मेलन के दौरान मोती लाल बास्के की पत्नी पार्वती मुरमू ने कहा कि जिस दिन उनकी हत्या हुई, उस दिन वह जंगल से लकड़ी लाने एक टांगी लेकर अपनी दुकान गये थे. मेरी तबीयत खराब थी और अभी बहुत कम लोग आते हैं, भीड़भाड़ नहीं थी, इसलिए मुझे साथ नहीं ले गये. उनके साथ क्या हुआ, मालूम नहीं. अगले दिन मुखिया ने बताया कि निमियाघाट थाने में एक ट्रेक्टर पर एक पुलिस लाश लायी है. बाद में मधुबन थाना शायद लेकर आयी. वह हमारे पति की लाश थी.
बताया कि वह नक्सली था, पुलिस ने मार दिया. मेरा पति दुकान चलाता था. अब मेरे बच्चों का क्या होगा? हम कैसे खायेंगे, कहां रहेंगे? कोई बताये. हमें न्याय चाहिए. उसके साथ आये ग्रामीणों ने बताया कि मोती लाल के नाम आज तक किसी थाने में एक भी मामला नहीं है. पीरटांड़ में सैकड़ों नक्सली घटनाएं हुईं है, कभी उसका नाम नहीं आया था. वह पुलिस की नजर में अचानक नक्सली कैसे बन गया? पुलिस उसको मार कर जश्न मना रही है. थाना को एक लाख रुपये दिये गये.