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पशुओं की जान पर आफत
नदी, नाले, तालाब व जलाशयों के सूखने से बढ़ा पेयजल संकट गढ़वा : ग्रामीण इलाके भी पानी की समस्या से नहीं बच पायी है. पहले ही नदी, नाले , तालाब व जलाशयों के सूखने से बढ़ी संकट के कारण इंसानों के अलावा पशुओं को नहीं मिल पा रहा है पानीपे यजल की लगातार बढ़ रही […]
नदी, नाले, तालाब व जलाशयों के सूखने से बढ़ा पेयजल संकट
गढ़वा : ग्रामीण इलाके भी पानी की समस्या से नहीं बच पायी है. पहले ही नदी, नाले , तालाब व जलाशयों के सूखने से बढ़ी संकट के कारण इंसानों के अलावा पशुओं को नहीं मिल पा रहा है पानीपे यजल की लगातार बढ़ रही समस्याओं से अब शहर ही नहीं, गांव में भी भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. विभिन्न प्रखंडों में जलस्तर नीचे चले जाने के कारण सैकड़ों चापाकल सूख चुके हैं, जबकि नदी व जलाशय काफी पहले ही सूख गये हैं. इसके कारण इंसानों के साथ-साथ पशुओं की जान पर भी आफत आ गयी है.
इंसान खुद पानी का जुगाड़ करें अथवा अपने पालतू पशुओं के लिए यह एक गंभीर चुनौती उनके सामने आन खड़ी हुई है. ग्रामीण इलाकों में सरकार अथवा उनके नुमाइंदों के द्वारा पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गयी है.
इसके कारण आनेवाले मई अैर जून माह की भीषण गरमी का अंदाजा लगा कर ही लोग सिहर जा रहे हैं. जिले की प्रमुख नदियां इस वर्ष बारिश नहीं होने के कारण पहले ही दगा दे चुकी है. ऐसे में आनेवाली भयाहवता स्थिति के लिए लोग तैयार नहीं हैं. हालात पर काबू पाने का प्रयास अभी से ही नहीं किया गया, तो स्थिति पर काबू पाना आसान नहीं होगा.
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